काँवड़ यात्रा - Kanwar Yatra 2025

July 19, 2025
काँवड़ यात्रा - Kanwar Yatra 2025

काँवड़ यात्रा मानसून के श्रावण माह मे किए जाने वाला अनुष्ठान है। कंवर (काँवर), एक खोखले बांस को कहते हैं इस अनुष्ठान के अंतर्गत, भगवान शिव के भक्तों को कंवरिया या काँवाँरथी के रूप में जाना जाता है।

काँवड़ यात्रा 

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हिन्दू पुराणों में कांवड़ यात्रा समुद्र के मंथन से संबंधित है। समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने जहर का सेवन किया, जिससे नकारात्मक ऊर्जा से पीड़ित हुए। त्रेता युग में रावण ने शिव का ध्यान किया और वह कंवर का उपयोग करके, गंगा के पवित्र जल को लाया और भगवान शिव पर अर्पित किया, इस प्रकार जहर की नकारात्मक ऊर्जा भगवान शिव से दूर हुई।

हिंदू तीर्थ स्थान

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हिंदू तीर्थ स्थानों हरिद्वार, गौमुख व गंगोत्री, सुल्तानगंज में गंगा नदी, काशी विश्वनाथ, बैद्यनाथ, नीलकंठ और देवघर सहित अन्य स्थानो से गंगाजल भरकर, अपने-अपने स्थानीय शिव मंदिरों में इस पवित्र जल को लाकर चढ़ाया जाता है।

जल कब चढ़ाएँ ? 

काँवड़ यात्रा के अंर्तगत जल कब चढ़ाया जायेगा ये सबसे अधिक पूछे जाने वाला प्रश्न है। काँवड़ यात्रा 2025 को शिवजी पर जल बुधवार, 23 जुलाई 2025 को चढ़ाया जायगा। 

जल चढ़ाने का समय 

भगवान शिव का सबसे प्रवित्र दिन शिवरात्रि, सकारात्मक ऊर्जा का श्रोत है, इसलिए जल चढ़ाने के लिए पूरा दिन ही पवित्र और शुभ माना गया है। पर जल चढ़ाते समय आगे और पीछे की तिथि के संघ को ध्यान में रखें।

काँवड़ यात्रियों के लिए नियम 

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  • काँवड़ यात्रा के दौरान कंवरिया अन्न और नमक (अर्थात व्रत) का सेवन किए बिना इस यात्रा को पूरा करते हैं।
  • काँवड़ को कंधे पर धारण किए, कंवरिया जल का भी सेवन नहीं करते हैं।
  •  अपनी यात्रा में कंवरिया, काँवड़ को जमीन पर नहीं रखते हैं, तथा शिव पर बिना जल अर्पण किए घर नहीं लौटते हैं।
  •  तथा गंगाजल शिवरात्रि के दिन ही अर्पण किया जाता है। कुछ कंवरिया यह यात्रा नंगे पैर पूरी करते हैं। 
  • इस पूरी यात्रा के दौरान कंवरिया अपने किसी भी साथी या अन्य साथी का नाम उच्चारित नहीं करते हैं, ये आपस में एक दूसरे को भोले नाम से संबोधित करते हैं। 
     


 

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