यह बात तो सभी को पता है कि हमारे फोन्स में सिम जो सिम टॉवर से सिग्नल लेती है और आपका मोबाइल फोन हमेशा नेटवर्क के संपर्क में रहता है, और यही संपर्क आपकी लोकेशन का सुराग देता है।
लेकिन लोकेशन शेरिंग या ट्रैसिंग इतनी आसान नहीं होती, जितना सुनने में लग रहा है या मूवीज में दिखाया जाता है। किसी भी फोन को ट्रैक करने के लिए कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना होता है, जैसे Cell-ID, Sector-Antenna, Timing Advance (TA) और RTT/Ping signals.
फोन से हर समय सिग्नल निकलते रहते हैं, चाहे आप उसे इस्तेमाल कर रहे हो या नहीं, फोन निरंतर अपने नजदीकी मोबाईल टॉवर को सिग्नल भेजता रहता है। नेटवर्क को अपनी स्थिति अपडेट करता है। SIM की पहचान (IMSI) और फोन की पहचान (IMEI) verify करता है। आइए समझते इस Constant-sharing से क्या-क्या होता है।

इस लगातार हो रही शेरिंग को टेक्निकल भाषा में 'लोकेशन अपडेट' कहते हैं, इस अपडेट में कई चीजें शामिल है:
आपका मोबाईल हर नियमित अंतराल के भारत अपनी लोकेशन अपडेट करता है, सामान्यतः ये समय 2-5 सेकंड का होता है, जिसे पिंग (PING) या RTT (Round Trip Time packet) कहते हैं।
यह पिंग बताएगी कि:
यह पिंग पास के 2–3 टावरों तक भी जाता है, इसीलिए triangulation संभव होती है।
यही 2–5 सेकंड वाले सिग्नल actual लोकेशन अंदाज़े का आधार बनते हैं। अब बात आती है आखिर नेटवर्क आपकी लोकेशन का पता कैसे लगती है?
आप कौन से टावर से जुड़े हो, area तय हो जाता है।
Accuracy: 500m – 2 km
हर tower में 3 directional antennas होते हैं (120° sectors)।
फोन किस सेक्टर में है - आपकी दिशा (North/East/West) तय हो जाती है।
Accuracy: 200–600m
टावर से आपके फोन तक सिग्नल जाने और आने में जितना समय लगता है, उससे distance तय होती है।
Accuracy: 100–300m (urban)
RTT (Round Trip Time) का उपयोग करके network अंदाज़ा लगाता है:
Accuracy: 50–150m
इन चारों को जोड़ कर ही आपकी Aproximate-Real-Time Location ट्रैक होती है।
लेकिन भारत में लोकेशन ट्रैकिंग अलग तरीके से होती है।
निश्चित इलाके में समय विशेष पर सभी सक्रिय मोबाइल नंबरों की सूची।
IMEI mapping + duplicate IMEI detection + lost phone tracking
इसे Sanchar Saathi के साथ जोड़ा गया है।
इन तीनों कारणों से भारत में लोकेशन tracking अन्य देशों की तुलना में ज़्यादा structured और accurate होती है।

जैसा की हम ऊपर बात कर चुके हैं, अपका फोन अपने आस पास के मोबाईल टॉवर्स को अपनी लोकेशन अपडेट करता रहता है, इसका मतलब अगर आप फोन बंद भी कर दें तो आपकी Last uppdated Location जो केवल फोन बंद होने से 2-5 सेकंड पहले की ही है, वह ट्रेकर्स को पता है।
साथ ही ये बातें भी पता है:
इसे “Last seen location” कहते हैं, इसकी Accuracy: 300–2000 meters (area के हिसाब से) रहती है।
इसके अलावा,
आपको बता दें कि, Android और iOS बैकग्राउंड में GPS cache store रखते हैं जिससे आपके
अगर phone बंद होने से 1–2 मिनट पहले location active थी। police cached data निकाल सकती है (court approval required).
कुछ फोन “complete shutdown” में भी baseband को थोड़ी देर के लिए active रखते हैं ताकि network को “switch-off event” भेजा जा सके।
जिससे पता लगता है कि SIM किस tower area में बंद हुई थी। यह भारत में CDR में दर्ज होता है।
अगर battery completely dead है:
तब केवल “last tower location + CDR” ही available होता है।
जब फोन टॉवर से कनेक्ट नहीं रहता है, लेकिन Flight mode में स्थान और तरीकों से track होना संभव है।
बहुत लोग flight mode में WiFi ON कर लेते हैं।
WiFi = सबसे सटीक indoor location system.
(Accuracy: 5–20 meters)
Android में कई services Bluetooth beacon scan करती रहती हैं (airpods, smartwatches)
इससे approximate location मिल सकती है।
यदि apps को background GPS permission मिली है
device flight mode में भी occasional location cache रखता है।
Phone flight mode में आने से पहले जो location थी
वही location police को मिल सकती है।

हाँ, क्योंकि ट्रैकिंग सिम से नहीं होती बल्कि फोन से होती है।
SIM न होने पर भी WiFi-based tracking active रहती है।
Nearby BLE beacons detect कर सकते हैं।
CDR नहीं मिलता लेकिन device forensic से IMEI logs recover होते हैं।

जिस एरिया में ट्रैकिंग करनी है उस एरिया के मोबाईल ऐक्टिव मोबाईल नम्बर की लिस्ट निकाली जाती है।
इसके बाद CDR मेथड से, कौन-सा टावर, किस सेक्टर, किस समय, सिग्नल strength, device IMEI mapping जानकारियाँ मिलती हैं। इसके बाद IMEI ट्रैकिंग से ट्रैक किया जाता है, जिससे अगर SIM बदल भी दें तो भी ट्रैसिंग में दिक्कत न आए।
इसके अलावा Triangulation मेथड से भी, यह real-time tracking होती है। इसकी Accuracy: 20–200 meters (city areas) है।
ऐप आधारित ट्रैकिंग भी की जाती है, WhatsApp, Google, Ola, Uber, Paytm जैसे apps legal request पर user का last GPS point दे सकते हैं।
अब बात करते हैं कि आखिर IMEI क्या है, और इससे मोबाइल को कैसे ट्रैक किया जाता है?
अपने जब कभी अपना नया मोबाईल खरीदा होगा तो देखा होगा फोन के डिब्बे पर एक तरफ कुछ बारकोड और भट सारे नम्बर होते हैं, ये नंबर की संख्या 15 होती है इसी नंबर को ही IMEI कहते हैं। IMEI (International Mobile Equipment Identity)। यह आपके डिवाइस की यूनिक फिंगरप्रिंट है। अगर कोई नम्बर आपके मोबाईल के साथ आया है वह केवल आपके ही मोबाईल के साथ अटैच रहेगा, हमेशा।
इसी वजह से इसे चोरी रोकने, नेटवर्क सुरक्षा और लोकेशन ट्रैकिंग में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
आपका फोन जैसे ही ऑन होता है तुरंत IMEI नंबर सीधे नेटवर्क टॉवर तक पहुंचता है। इसका असर आपके नंबर, सिम, या कोई ऐप से भी IMEI नंबर को टॉवर तक पहुँचने से नहीं रोक सकते। नेटवर्क हर activity—call, internet, tower-connection—के साथ IMEI को लॉग करता है। इसलिए device को trace करना हमेशा SIM से आसान होता है।
जब फोन चोरी होता है, तो पुलिस CEIR सिस्टम के जरिए IMEI ब्लॉक कर देती है।
भारत में 2024 के बाद हर IMEI सीधे सरकार के centralized database में register होता है।
अगर किसी device में fake IMEI पाया जाता है (क्लोन किया हुआ), तो वह नेटवर्क पर बैन हो जाता है।
इससे cyber fraud, SIM-swap scams और cloned devices का misuse काफी कम हुआ है।
सरल शब्दों में:
IMEI = device की स्थायी पहचान
SIM = आपकी temporary identity
SIM बदलने से tracking नहीं रुकती क्योंकि असली fingerprint IMEI होता है।

सीधा जवाब है, हाँ, सरकार किसी भी नागरिक के फोन की real-time लोकेशन ट्रैक कर सकती है। लेकिन ध्यान दें कि इसके लिए बहुत सालिड रीज़न होना चाहिए, और कई लेवल की अनुमति और वेरीफिकेशन के बाद ही कर सकती है।
बिना लीगल अप्रूवल ये बिलकुल संभव नहीं और न ही ज्याज है। कोई भी सरकारी एजेंसी आपकी लोकेशन live देखने से पहले यह नहीं कर सकती कि “सिर्फ suspicion है, चलो इस नंबर को live map पर ट्रैक करो।"
सीधी बात ये है कि किसी के भी मोबाईल की ट्रैकिंग कानूनी आधार + paperwork + justification के बिना नहीं की जा सकती।
भारत में real-time surveillance पर कंट्रोल रखने वाली agencies:
Law Enforcement Agencies (LEA)
Anti-Terror Units
*CBI क्या है CBI का इतिहास(1941 SPE से -1963CBI) क्या है? [यहां हमारा विस्तृत एक्सप्लेनर पढ़ें...]
अगर किसी मामले में ठोस सुराग मिलते हैं, जिसके लिए ट्रैकिंग ज़रूरी है:
इन मामलों में पुलिस या संबंधित जांच एजेंसी टेलीकॉम कंपनी को एक लिखित प्राधिकरण या न्यायालय आदेश भेजती है।
Telecom provider (Jio, Airtel, VI) तब real-time tracking activate करता है। यह tracking एक dashboard पर दिखाई जाती है जहाँ हर 10–20 सेकंड में phone की movement update होती है।
टेरर या राष्ट्र सुरक्षा जैसे मामलों के लिए कानून थोड़े अलग हैं, उनमें एजेंसी ट्रैक शुरू कर देते हैं और पेपर वर्क बाद में किया जाता है। इस तरह की स्थिति में एजेंसी अपनी स्पेशल अप्रूवल पावर का इस्तेमाल करती है।
इसे कहते हैं:
“Emergency interception & real-time surveillance”
यह सिस्टम सिर्फ high-level authorised officers के पास होता है।
आपको बता दें ट्रैकिंग एक बहुत ही आर्थिक व्यय का कार्य है, कोई भी व्यक्ति इसे हालके मामलों में नहीं इस्तेमाल कर सकता, न ही कोई इसे अपने निजी जरूरतों के लिए करता है।
अब आपके और भी कई सवाल होंगे, जैसे की क्या मेरा फोन बिना इंटरनेट भी track होता है?, क्या government मुझे real-time track कर सकती है?, क्या IMEI बदलने से लोकेशन छुप जाएगी?, क्या phone बंद होने पर भी tracking होती है?, क्या VPN से location छिपती है? इन सभी पर बात करते हैं:
सबसे पहला सवाल ये कि क्या मेरा फोन बिना इंटरनेट के भी ट्रैक हो सकता है? तो इसका सीधा जवाब है, हाँ, इंटरनेट बंद करने से सिर्फ ऐप लेवल ट्रैकिंग रुकती है, लेकिन tower-based network tracking हमेशा active रहती है। नेटवर्क रेडियो हर कुछ सेकंड में टावर से handshake करता है, जिससे approximate location मिल जाती है।
अगला सवाल कि क्या गवर्नमेंट मुझे real-time- track कर सकती है? इसका भी जवाब हाँ ही है, लेकिन डरें नहीं, बेवजह सरकार आपको ट्रैक नहीं करेगी, जब तक कोर्ट का ऑर्डर न हो या legal authorization के साथ। Normal cases में real-time tracking नहीं होती। National security या terror cases में emergency tracking instant शुरू की जा सकती है।
तीसरा सवाल है क्या IMEI बदलने से लोकेशन चुप जाएगी? जवाब है नहीं, IMEI spoofing illegal भी है और temporary भी। Modern networks IMEI clone को detect कर लेते हैं और असली device को tower-pattern और signal fingerprint से पहचान लेते हैं।
इसके बाद आपके मन में आएगा कि "मैन फोन बंद कर दूँ तो भी ट्रैकिंग हो सकेगी?" तो आपको बता दें कि अगर आपका फोन पूरी तरह बंद है तब ही real-time-tracking रुक सकती है, फिर भी ध्यान रहे की जैसे हमने ऊपर बात की है आपका मोबाईल आखिरी बर जिस टॉवर से कनेक्ट था उसकी लोकेशन अब भी मिल सकती है।
कुछ लोग सोचेंगे की क्या VPN से लोकेशन ट्रैक होना बंद होजाएगा? तो पहले आप ये जानिए कि vpn यानी Virtual Private Network सिर्फ internet-location (IP) ही छिपाता है। मोबाईल नेटवर्क लोकेशन (टॉवर आधारित ट्रैकिंग) VPN से बाधित नहीं की जा सकती है।
References
1. Department of Telecommunications (DoT), Government of India — CEIR, IMEI & Device Tracking Framework
(Official IMEI database + device blocking system)
2. 3GPP TS23 — Mobile Network Location Services (LBS, Triangulation, TDOA)
(Global telecom standard for how towers calculate location)
3. GPS.gov — U.S. Government: Global Positioning System Documentation
(GPS accuracy, satellite mechanism, time-of-flight model)
4. TRAI Technical Reports — Mobile Network Architecture & Signal Behaviour
(Indian telecom architecture & policy guidelines)
5. GSMA Security Whitepaper — IMEI Structure, Anti-Cloning & Network Detection
(Global IMEI anti-spoofing protocols)