सुभाष चंद्र बोस (“नेताजी” के नाम से प्रसिद्ध) एक प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादी नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसा माना जाता है कि 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी। इस कारण आज उनकी पुण्यतिथि मनाई जा रही है।
जन्म |
23 जनवरी 1897 कटक, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रितानी भारत (वर्तमान के भारतीय राज्य ओडिशा के कटक जिले में) |
मृत्यु |
18 अगस्त 1945 (उम्र 48 वर्ष) सेना अस्पताल नानमोन शाखा, ताइपे, जापानी ताइवान (ताइपे सिटी हॉस्पिटल हेपिंग फुयू ब्रांच) |
जन्म का नाम |
सुभाष चन्द्र बोस |
राजनीतिक दल |
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, ऑल इंडिया फार्वर्ड ब्लाक |
जीवन संगी |
एमिली शेंकल (वि॰ 1937) (गुप्त रूप से विवाह किया जिसमें किसी तरह का कोई कार्यक्रम अथवा गवाह नहीं था, बोस ने सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा नहीं की।) |
बच्चे |
अनिता बोस फाफ |
शैक्षिक सम्बद्धता |
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सुभाष चंद्र बोस ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कटक से प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए कोलकाता गए। बाद में वे इंग्लैंड की "इंडियन सिविल सर्विस" परीक्षा में भी सफल हुए, परंतु देशप्रेम और स्वतंत्रता की आकांक्षा ने उन्हें नौकरी छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस पार्टी के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन में प्रवेश किया। वे महात्मा गांधी का सम्मान करते थे, लेकिन उनकी विचारधारा से पूरी तरह सहमत नहीं थे। गांधीजी जहां अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग पर विश्वास करते थे, वहीं बोस का मानना था कि भारत को स्वतंत्र कराने के लिए सशस्त्र संघर्ष आवश्यक है।
सुभाष चंद्र बोस दो बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए, लेकिन विचारों में मतभेद के कारण उन्होंने "फॉरवर्ड ब्लॉक" नामक नई पार्टी की स्थापना की।
द्वितीय विश्व युद्ध के समय सुभाष चंद्र बोस ने जर्मनी और जापान का सहयोग लिया और "आज़ाद हिंद फ़ौज" (INA) की स्थापना की। उनका प्रसिद्ध नारा था –
“तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा।”
आज़ाद हिंद फ़ौज ने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध किया और देशवासियों में स्वतंत्रता की नई लहर जगा दी।
सुभाष चंद्र बोस का जीवन जितना प्रेरणादायक था, उतनी ही रहस्यमयी उनकी मृत्यु रही। 18 अगस्त 1945 को ताइवान में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु की खबर आई, लेकिन इस पर आज भी विवाद बना हुआ है।
सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सच्चे नायक थे। उनका जीवन हमें सिखाता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और मातृभूमि के प्रति समर्पण से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। नेताजी का नाम सदैव भारतीय युवाओं को देशप्रेम और त्याग की प्रेरणा देता रहेगा।
"दिल्ली की सड़क स्वतंत्रता की सड़क है, दिल्ली चलो"
सुभाष चंद्र बोस