उत्तर प्रदेश में साल 2016 के बुलंदशहर गैंगरेप मामले में पोक्सो कोर्ट ने पांच दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। ये जानकारी एडीजीसी (असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट गवर्नमेंट काउंसल) वरुण कौशिक ने दी है।
2016 में जो पीड़ित लड़की महज 14 साल की नाबालिग थी, इंसाफ मिलते-मिलते वह 23 साल की युवती बन चुकी है। इन 9 सालों में परिवार ने न केवल सामाजिक दंश झेला, बल्कि कई बार धमकियों का भी सामना किया। रिपोर्ट के मुताबिक, डीएनए रिपोर्ट और लड़की की पहचान की गवाही ही वह सबसे मजबूत कड़ी बनी, जिससे आरोपियों को उम्रकैद तक पहुँचाया जा सका।
एडीजीसी वरुण कौशिक ने बताया कि मां-बेटी के इस गैंगरेप मामले में कुल छह अभियुक्तों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की गई थी, जिसमें एक अभियुक्त की ट्रायल के दौरान जेल में मौत हो गई थी।
#WATCH | Bulandshahr, UP: In 2016 NH-91 gangrape case, ADGC, Varun Kaushik says, "...All five convicts have been sentenced to life imprisonment by the court today, and the court has also sent a message that such criminals should be kept away from society... In 2016, a rape and… pic.twitter.com/sYrufEw4e7
— ANI (@ANI) December 22, 2025
ये घटना 29 जुलाई, 2016 की है। कुछ हथियारबंद लोगों ने एक कार में अपने परिवार के साथ शाहजहांपुर जा रही मां-बेटी के साथ बुलंदशहर में गैंगरेप किया था।
एडीजीसी वरुण कौशिक ने बताया, "साल 2016 में दोस्तपुर हाईवे पर लूट और रेप की घटना हुई थी। एक परिवार एक गमी में शामिल होने के लिए गाज़ियाबाद से शाहजहांपुर जा रहा था।"
"रात में जब ये परिवार दोस्तपुर के पास पहुंचा, इनकी गाड़ी पर किसी ने कुछ फेंका। जैसे ही गाड़ी चेक करने के लिए बच्ची के पिता उतरे, पांच से सात लोगों ने उनको गन प्वॉइंट पर ले लिया और सबके साथ मारपीट की। मां और बेटी का रेप किया गया था।"
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। सीबीआई ने इस मामले की जांच के बाद 5 नवंबर, 2016 को तीन अभियुक्तों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की थी। इसके बाद 18 अप्रैल 2018 को सीबीआई ने तीन और अभियुक्तों के ख़िलाफ़ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी।
बुलंदशहर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन्स जज-कम-स्पेशल (पोक्सो केसेस) ने बीते शनिवार, 20 दिसंबर को पांच अभियुक्तों को दोषी ठहराया था और आज उन दोषियों को सजा सुनाई गई है।
POCSO Court Convicts all Five Accused in Bulandshahr Gang Rape Case pic.twitter.com/qtg5ke1I7H
— Central Bureau of Investigation (India) (@CBIHeadquarters) December 20, 2025
वारदात के बाद शुरुआती जांच में यूपी पुलिस पर निर्दोषों को फंसाने और सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप लगे थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर असंतोष जताते हुए जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई ने ही वैज्ञानिक साक्ष्यों (DNA Test) और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के आधार पर असली गुनहगारों की पहचान की और उन लोगों को क्लीनचिट दी जिन्हें पुलिस ने जल्दबाजी में पकड़ा था।∎