इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में मौजूद सतीश धवन स्पेस सेंटर से एलवीएम3-एम6 मिशन लॉन्च किया है। यह अमेरिका के ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट को ऑर्बिट में पहुंचाया है।
भारत की स्पेस एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के इस मिशन पर पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, "भारत के स्पेस सेक्टर में एक बड़ी कामयाबी।"
A significant stride in India’s space sector…
— Narendra Modi (@narendramodi) December 24, 2025
The successful LVM3-M6 launch, placing the heaviest satellite ever launched from Indian soil, the spacecraft of USA, BlueBird Block-2, into its intended orbit, marks a proud milestone in India’s space journey.
It strengthens… pic.twitter.com/AH6aJAyOhi
उन्होंने लिखा,"सफल एलवीएम3-एम6 लॉन्च, जिसने भारत की धरती से लॉन्च किए गए अब तक के सबसे भारी सैटेलाइट, अमेरिका के स्पेसक्राफ्ट, ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 को उसकी तय ऑर्बिट में पहुंचा दिया।"
"यह भारत की स्पेस यात्रा में एक गर्व की बात है... यह आत्मनिर्भर भारत की हमारी कोशिशों को भी दिखाता है।"
इस मिशन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें,
भारत की जमीन पर सबसे भारी सैटेलाइट लॉन्च: इस मिशन को इसलिए खास माना जा रहा है क्योंकि Blackbrid Block-2 भारत की सबसे भारी सैटेलाइट है जिसे भारत के रॉकेट से लॉन्च किया गया है। इसका वजन लगभग 6,000 किलोग्राम (6 टन) के करीब है। इससे पहले इसरो ने इतने भारी सैटेलाइट्स के लिए विदेशी रॉकेटों (जैसे एरियन-5) पर निर्भर रहना पड़ता था।
ये एक अमेरिकन सैटेलाइट है जिसे AST Spacemobile कहा जाता है।
डायरेक्ट-टू-सेल (Direct-to-Cell): इस सैटेलाइट का काम है मोबाईल फोन को डायरेक्ट सिग्नलस देना, इस सैटेलाइट का भविष्य में कार्य होगा की या आपके फोन में बिना टॉवर के सिग्नल भेजेगा।साथ ही इसके आकार और आकर्षण की बात करें तो, अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद इसके 'एंटेना' खुल जाते हैं, जिससे यह रात के आकाश में सबसे चमकीली वस्तुओं में से एक बन जाता है।
LVM3 इसरो का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है, जिसे पहले GSLV MK-III कहा जाता था। यह वही रॉकेट है जिसने चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था। इस मिशन की सफलता ने साबित कर दिया है कि भारत अब दुनिया के 'हैवी सैटेलाइट' मार्केट में एक बड़ा खिलाड़ी बन गया है और एलन मस्क की कंपनी SpaceX को कड़ी टक्कर दे रहा है।
इस सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए अमेरिका की कंपनी ने भारत को चुना है, जिससे ये माना जा रहा है कि भारत-अमेरिका के संबंध अब गहरे हो रहे हैं, आर्थिक और कूटनीतिक स्तर पर भविष्य में इसका फ़ायदा भारत को जरूर मिलेगा। साथ ही इस कमर्शियल लॉन्च के जरिए इसरो की कमर्शियल शाखा 'NewSpace India Limited' (NSIL) ने बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित की है।
पीएम मोदी ने इसे "आत्मनिर्भर भारत" इसलिए कहा क्योंकि अब हम न केवल अपने लिए, बल्कि दुनिया के सबसे उन्नत देशों के लिए भी जटिल मिशन खुद करने में सक्षम हैं। यह सफलता आगामी गगनयान (मानव मिशन) के लिए भी इसरो का आत्मविश्वास बढ़ाएगी।∎