पीरू सिंह - Piru Singh : परमवीर चक्र विजेता

नायब सूबेदार पीरू सिंह शेखावत भारतीय सेना के एक वीर सैनिक थे, जिन्होंने 1948 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अद्वितीय साहस और वीरता का प्रदर्शन करते हुए परमवीर चक्र प्राप्त किया। उनका जीवन राष्ट्रभक्ति, साहस और बलिदान की एक प्रेरणादायक गाथा है।

पीरू सिंह जीवन परिचय - Piru Singh Biography

जन्म20 मई 1918
बेरी, झुनझुनु, ब्रिटिश भारत (तत्कालीन राजपुताना)
देहांत18 जुलाई 1948
 टिथवाल, जम्मू और कश्मीर में शहीद
निष्ठाब्रिटिश भारत
सेवा/शाखाब्रिटिश भारतीय सेना
सेवा वर्ष1936–1948
उपाधिकंपनी हवलदार मेजर
दस्ताराजपुताना राइफल की छठी बटालियन
युद्ध/झड़पेंभारत-पाकिस्तान युद्ध 1947
सम्मानपरमवीर चक्र

प्रारंभिक जीवन

पीरू सिंह का जन्म 20 मई 1918 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के रामगढ़ शेखावाटी गांव में हुआ था। वे एक किसान परिवार से थे और बचपन से ही देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत थे। उनकी शिक्षा साधारण रही, लेकिन उनका सपना था भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा करना।

सैन्य जीवन

वर्ष 1936 में पीरू सिंह भारतीय सेना की राजपुताना राइफल्स रेजीमेंट में शामिल हुए। उन्होंने अनुशासन, निष्ठा और साहस से सेना में एक विशेष पहचान बनाई। वे एक दक्ष सैनिक होने के साथ-साथ अपने साथियों के लिए प्रेरणा स्रोत भी थे।

1948 का भारत-पाक युद्ध

जम्मू और कश्मीर में पाकिस्तानी घुसपैठ के खिलाफ भारतीय सेना ने एक बड़ा अभियान चलाया। 18 जुलाई 1948 को पीरू सिंह की टुकड़ी को टिथवाल सेक्टर में एक रणनीतिक पहाड़ी पर कब्जा करने का आदेश मिला। पाकिस्तानी सेना ने उस क्षेत्र में मशीन गनों और मोर्टार से भारी सुरक्षा लगा रखी थी।

पीरू सिंह ने अद्वितीय साहस दिखाते हुए दुश्मन की कई चौकियों पर हमला किया। उनके अधिकांश साथी शहीद हो चुके थे, लेकिन उन्होंने अकेले ही आगे बढ़कर दुश्मन की मशीन गन पोस्ट को नष्ट किया। वे गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद लड़ते रहे और अंततः वीरगति को प्राप्त हुए।

सम्मान

उनकी असाधारण बहादुरी और बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। आज भी भारतीय सेना और देशवासी उनके बलिदान को गर्व से याद करते हैं।

नायब सूबेदार पीरू सिंह का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा है। उन्होंने दिखा दिया कि एक सच्चा सैनिक देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने से पीछे नहीं हटता। उनका बलिदान हमें यह सिखाता है कि देशसेवा सर्वोपरि है।