मकर संक्रांति - Makar Sankranti

Diksha Sharma
January 14, 2025
मकर संक्रांति - Makar Sankranti

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे देश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है, जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति को खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन से सूर्य उत्तरायण होता है, यानी दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं।

मकर संक्रांति का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

मकर संक्रांति को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन गंगा, यमुना, गोदावरी, और नर्मदा जैसे पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष फलदायी होता है। यह माना जाता है कि पवित्र स्नान से सभी पापों का नाश होता है और आत्मा शुद्ध होती है। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है। लोग तिल, गुड़, कंबल, और अन्न का दान करते हैं।

सांस्कृतिक रूप से यह त्योहार किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसे नए फसल चक्र की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। खेतों में लहलहाती फसलें किसानों के मन में खुशी भर देती हैं।

क्षेत्रीय विविधताएँ

मकर संक्रांति का उत्सव देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है।

  • उत्तर भारत: इसे 'खिचड़ी' के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। लोग गंगा स्नान करते हैं और खिचड़ी, तिल-गुड़ के लड्डू खाते हैं।
  • पश्चिम भारत: महाराष्ट्र में इस दिन महिलाएँ एक-दूसरे को हल्दी-कुमकुम लगाकर तिल-गुड़ बाँटती हैं।
  • दक्षिण भारत: इसे 'पोंगल' के रूप में चार दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें फसल उत्सव का विशेष महत्व है।
  • पश्चिम बंगाल: यहाँ इसे 'पौष संक्रांति' कहते हैं और गंगा सागर मेले का आयोजन होता है।
  • गुजरात: यहाँ पतंगबाजी का आयोजन होता है, जिसे 'उत्तरायण' कहते हैं।

तिल और गुड़ का महत्व

मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का विशेष महत्व है। ये न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होते हैं। तिल-गुड़ मिठाई के रूप में आपसी प्रेम और सौहार्द्र का प्रतीक मानी जाती है।

पर्यावरण और पतंग उत्सव

मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा भी है, जो विशेष रूप से गुजरात और राजस्थान में देखने को मिलती है। यह आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों से भरा दृश्य अद्भुत होता है। हालांकि, आजकल पतंगों में उपयोग होने वाले नायलॉन के मांजे से पक्षियों को खतरा हो रहा है, इसलिए सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल पतंगबाजी को बढ़ावा देना चाहिए।

मकर संक्रांति न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह प्रकृति, समाज और संस्कृति के साथ हमारे अटूट संबंध को भी दर्शाता है। यह त्योहार हमें दान, सेवा, और प्रेम का महत्व सिखाता है। बदलते समय के साथ भी मकर संक्रांति की प्रासंगिकता बनी हुई है, और इसे उत्साहपूर्वक मनाना हमारी परंपराओं को जीवित रखने का एक सुंदर माध्यम है।

"तिल गुड़ घ्या, गोड गोड बोला!"
(तिल-गुड़ खाओ, मीठा-मीठा बोलो!)

14 जनवरी का इतिहास

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