बांग्लादेश संकट: ढाका में मीडिया पर प्रहार और भारत में कूटनीतिक दरार, तीन शहरों में वीज़ा सेवाएं निलंबित

December 23, 2025
bangladesh media

कुछ दिनों पहले बांग्लादेश के इंकलाब मंच का मुख्य चेहरा उस्मान हादी की गोली मार कर हत्या कर डी गई जिसके बाद वहाँ प्रदर्शन लगातार जारी है, बताया गया है कि इसी सिलसिले में वह के दो मुख्य अखभर संस्थानों को भी निशान बनाया गया है, वजह दी गई कि वे संस्थान "भारत समर्थक" है, इस पूरे प्रदर्शन के दौरान एक भारतीय हिन्दू व्यक्ति की भी प्रदर्शनकारियों ने पीट-पीट कर हत्या कर दी है।

बांग्लादेश के अख़बार 'ढाका ट्रिब्यून' के मुताबिक़, सोमवार सुबह लगभग 12 बजे नेशनल सिटिज़न पार्टी (एनसीपी) के खुलना डिवीज़न के प्रमुख और श्रमिक शक्ति के केंद्रीय आयोजक मोतेलब सिकदर को सोमवार सुबह क़रीब 11:45 बजे खुलना के सोनाडांगा इलाक़े में गोली मारी गई।

इस मामले में सोनाडांगा मॉडल पुलिस स्टेशन के प्रभारी (जांच) अनिमेष मंडल ने बताया कि सिकदर को "अज्ञात हमलावरों ने गोली मारी और स्थानीय लोगों ने उन्हें बचाकर अस्पताल पहुंचाया।"

'द डेली स्टार' के संपादक महफ़ूज़ अनम ने कहा कि पत्रकारों की निजी सुरक्षा को लेकर चिंता अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मांग से भी आगे निकल गई है। उन्होंने यह बात 'द डेली स्टार' के कार्यालय पर हुए हमले के बाद कही है।

बांग्लादेश में स्टूडेंट लीडर उस्मान हादी की हत्या के बाद भड़की हिंसा में दो मीडिया संस्थानों 'द डेली स्टार' और 'प्रथम आलो' के कार्यालयों में आगजनी और तोड़फोड़ हुई थी।

इसके विरोध में सोमवार को ढाका के सोनारगांव होटल में एक कार्यक्रम 'बांग्लादेश अंडर मॉब वायलेंस' आयोजित किया गया।

'प्रथम आलो' के मुताबिक़, 'द डेली स्टार' के कार्यालय में हमले पर बात करते हुए महफ़ूज़ अनम ने कहा कि कम से कम 26-27 पत्रकार छत पर फंस गए थे और फ़ायर सर्विस को वहां तक पहुंचने से रोका गया।

उन्होंने कहा, "हमने सोशल मीडिया पर देखा है कि वे लोग कह रहे हैं कि डेली स्टार और प्रथम आलो के पत्रकारों को ढूंढकर उनके घरों में मार दिया जाना चाहिए।"

इस घटना को 'निर्मम' बताते हुए महफ़ूज़ अनम ने कहा कि इससे पत्रकारों की निजी सुरक्षा का मुद्दा सबसे आगे आ गया है। उन्होंने पत्रकारों से अपील की कि वे अपनी जान की सुरक्षा की मांग को लेकर एकजुट हों।

बांग्लादेश के भीतर पत्रकारों और मीडिया संस्थानों पर हो रहे ये हमले वहाँ बढ़ती अनियंत्रित भीड़ और सुरक्षा व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को दर्शाते हैं। लेकिन इस आंतरिक हिंसा की तपिश अब सीमाओं के पार भारत तक भी पहुँच गई है। जहाँ एक ओर बांग्लादेश में अभिव्यक्ति की आज़ादी और पत्रकारों की जान खतरे में है, वहीं दूसरी ओर अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों के कारण भारत के सीमावर्ती इलाकों में जनाक्रोश फूट पड़ा है। इसी बढ़ते तनाव और सुरक्षा चिंताओं के कारण अब दोनों देशों के बीच कूटनीतिक गतिविधियों पर भी असर पड़ा है, जिसके चलते भारत में बांग्लादेशी वीज़ा केंद्रों को बंद करना पड़ा है।

बांग्लादेश ने दिल्ली स्थित अपने उच्चायोग में वीज़ा सेवाएं अस्थायी रूप से बंद करने के बाद अगरतला में वीज़ा कार्यालय और सिलीगुड़ी स्थित वीज़ा आवेदन केंद्र भी बंद कर दिए हैं।

बीबीसी बांग्ला सेवा के मुताबिक़, त्रिपुरा के अगरतला स्थित बांग्लादेश वीज़ा और काउंसलर सेवाओं को मंगलवार से अनिश्चितकाल के लिए बंद किया गया है। वहीं पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी स्थित बांग्लादेश वीज़ा आवेदन केंद्र का कामकाज भी अस्थायी रूप से निलंबित किया गया है।

बांग्लादेश में हिन्दू युवक दीपू चंद्र दास की मौत के बाद पिछले कुछ दिनों से अगरतला में कुछ स्थानीय संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि, बीबीसी बांग्ला सेवा ने दूतावास के सूत्रों के हवाले से बताया कि कोलकाता में बांग्लादेश वीज़ा कार्यालय अब भी खुला है।

इससे पहले बांग्लादेश ने दिल्ली स्थित उच्चायोग में वीज़ा सेवाएं अस्थायी रूप से रोकीं। उच्चायोग के गेट पर एक नोटिस लगाया गया है जिसमें कहा गया है कि ये गतिविधियां अगली सूचना तक बंद रहेंगीं।

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