नई दिल्ली: यूक्रेन को सैन्य रूप से मजबूत करने और भविष्य में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 26 यूरोपीय देशों ने एक नई सुरक्षा फोर्स बनाने का ऐलान किया है। इस कदम से रूस भड़क गया है, जिसने इसे यूरोपीय महाद्वीप के लिए "खतरे की गारंटी" बताया है। रूस ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन में किसी भी रूप में विदेशी सैनिकों की तैनाती को उकसावे की कार्रवाई माना जाएगा और इसका कड़ा जवाब दिया जाएगा।
यूरोप की पहल और रूस की चेतावनी
रूस के विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन के लिए यूरोपीय देशों के प्रस्ताव को पूरी तरह से अस्वीकार्य करार दिया है। हालांकि, इस चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए, यूरोपीय नेताओं ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ एक बैठक की और बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी मुलाकात कर यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी दिलवाने की मांग की।
क्या है यूरोपीय देशों का फैसला?
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रोन ने घोषणा की है कि 26 यूरोपीय देशों ने यूक्रेन के लिए इस सिक्योरिटी फोर्स का हिस्सा बनने का निर्णय लिया है। इस फोर्स का मुख्य उद्देश्य युद्धविराम या शांति की स्थिति में यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देना और उसकी सेना को मजबूत करना है। इस फोर्स के मुख्य सदस्य फ्रांस, ब्रिटेन, इटली और जर्मनी होंगे। जेलेंस्की ने इसे यूक्रेन की जीत बताया है।
#WATCH | Permanent Representative of India to the United Nations in New York, Parvathaneni Harish says, "India continues to remain concerned over the situation in Ukraine. We maintain that the loss of innocent lives is unacceptable, and no solution can be found on the… pic.twitter.com/pCY5mmMxlx
— ANI (@ANI) September 5, 2025
शर्तों के मुताबिक, इस फोर्स के सैनिक युद्ध के अग्रिम मोर्चे (फ्रंटलाइन) से दूर तैनात रहेंगे और केवल मददगार की भूमिका निभाएंगे।
अमेरिका और भारत का रुख
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन में जमीनी स्तर पर सेना तैनात करने से इनकार कर दिया था, लेकिन हवाई सेना तैनात करने की बात कही थी। हालांकि, अमेरिका ने अभी तक यूक्रेन में सेना तैनात करने का कोई फैसला नहीं लिया है।
वहीं, भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने यूरोपीय नेताओं से फोन पर बात कर रूस-यूक्रेन संकट पर चर्चा की और रूस को युद्ध रोकने के लिए समझाने का अनुरोध किया। संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच शांति केवल कूटनीतिक प्रयासों से ही संभव है।