भारतीय सिनेमा में कुछ ही अभिनेत्रियाँ ऐसी रही हैं जिन्होंने अपनी दमदार अदाकारी और संवेदनशील किरदारों से दर्शकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी है। शबाना आज़मी उन्हीं में से एक हैं। वे केवल एक सफल अभिनेत्री ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता और प्रगतिशील विचारधारा की प्रतीक भी हैं।
जन्म |
शबाना काइफी आजमी 18 सितम्बर 1950 हैदराबाद, भारत, (हाल तेलंगाना, भारत) |
आवास |
मुम्बई, महाराष्ट्र, भारत |
पेशा |
अभिनेत्री, सामाजिक कार्यकर्ता |
कार्यकाल |
1972-वर्तमान |
धर्म |
इस्लाम |
जीवनसाथी |
जावेद अख्तर |
शबाना आज़मी का जन्म 18 सितम्बर 1950 को हैदराबाद में हुआ। उनके पिता प्रसिद्ध उर्दू शायर कैफ़ी आज़मी और माँ थिएटर आर्टिस्ट शौकत आज़मी थीं। कला और साहित्यिक वातावरण में पली-बढ़ी शबाना ने छोटी उम्र से ही अभिनय में रुचि दिखाना शुरू कर दिया था। उन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की और इसके बाद पुणे के फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) से अभिनय की शिक्षा प्राप्त की।
शबाना आज़मी ने 1974 में श्याम बेनेगल की फिल्म “अंकुर” से अपने करियर की शुरुआत की। इस फिल्म ने उन्हें पहचान दिलाई और पहली ही फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। इसके बाद उन्होंने समानांतर सिनेमा और व्यावसायिक फिल्मों दोनों में काम किया।
उनकी प्रमुख फिल्मों में “अर्थ” (1982), “पार” (1984), “मंडी” (1983), “नील आकाश के नीचे”, “मासूम” (1983), “फायर” (1996) और “गॉडमदर” (1999) शामिल हैं। शबाना ने लगभग हर तरह की भूमिकाएँ निभाईं – एक साधारण ग्रामीण महिला से लेकर आधुनिक शहरी औरत तक, और हर किरदार को अपनी सशक्त अदायगी से जीवंत कर दिया।
शबाना आज़मी ने अपने करियर में पाँच बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता है, जो किसी भी अभिनेत्री के लिए बड़ी उपलब्धि है। इसके अलावा उन्हें फ़िल्मफ़ेयर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई पुरस्कार मिले। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री (1998) और पद्मभूषण (2012) से सम्मानित किया।
अभिनय के साथ-साथ शबाना आज़मी सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रही हैं। वे महिलाओं के अधिकार, एचआईवी/एड्स जागरूकता, बाल श्रम उन्मूलन और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर लगातार आवाज़ उठाती रही हैं। उन्होंने कई बार राजनीति और संसद में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
शबाना आज़मी का विवाह मशहूर गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर से हुआ। दोनों साहित्य, कला और समाज में अपने योगदान के लिए सम्मानित व्यक्तित्व माने जाते हैं।
शबाना आज़मी सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं, बल्कि भारतीय समाज में प्रगतिशील सोच और बदलाव की प्रतीक हैं। उन्होंने अपने अभिनय से भारतीय सिनेमा को नया आयाम दिया और सामाजिक कार्यों से यह साबित किया कि एक कलाकार समाज के प्रति भी जिम्मेदार हो सकता है।