'भारत में रहना है तो वंदे मातरम् गाना होगा' पर मदनी और ओवसी की प्रतिक्रिया

December 09, 2025
मदनी और ओवसी

वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर संसद में हो रही चर्चा के बीच जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने इस पर प्रतिक्रिया दी है।

मौलाना ने 'वंदे मातरम्' गीत के अनिवार्य गायन या राष्ट्रवाद से इसके जुड़ाव पर असहमति जताई है।

मदनी के अनुसार, उनकी इस आपत्ति का कारण है कि, 'वंदे मातरम्' का अर्थ "माँ, मैं तेरी पूजा करता हूँ" है।

और इस्लामी आस्था के मुताबिक, मुस्लिम धर्म में केवल एक अल्लाह की ही इबादत की जाती है, और इस इबादत में किसी दूसरे शर्व शक्तिमान को शामिल नहीं कर सकते।

अरशद मदनी ने मंगलवार को एक्स पर पोस्ट किया,"हमें किसी के 'वंदे मातरम्' पढ़ने या गाने पर आपत्ति नहीं है, लेकिन मुसलमान केवल एक अल्लाह की इबादत करता है और अपनी इबादत में अल्लाह के सिवा किसी दूसरे को शामिल नहीं कर सकता।"

उन्होंने लिखा, "और 'वंदे मातरम्' का अनुवाद शिर्क से संबंधित मान्यताओं पर आधारित है। इसके चार श्लोकों में देश को देवता मानकर 'दुर्गा माता' से तुलना की गई है और पूजा के शब्दों का प्रयोग हुआ है। 'माँ, मैं तेरी पूजा करता हूँ' यही वंदे मातरम् का अर्थ है।"

"यह किसी भी मुसलमान की धार्मिक आस्था के ख़िलाफ़ है। किसी को उसकी आस्था के ख़िलाफ़ कोई नारा या गीत गाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। क्योंकि भारत का संविधान हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25) और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) देता है।"

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख ने अपनी पोस्ट में लिखा कि देश से प्रेम करना और उसकी पूजा करना दो अलग बातें हैं।

उन्होंने लिखा, "मुसलमानों की देशभक्ति के लिए किसी के प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं है।"

वे बताते हैं की देश से प्रेम करना और उसकी पूजा करना दो अलग बातें हैं

सोमवार को लोकसभा में चर्चा के दौरान एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मुद्दे को उठाया था।

उन्होंने कहा, "हमारे मुल्क के संविधान की शुरुआत 'भारत माता' से नहीं बल्कि 'हम भारत के लोग' से होती है। बाबा साहेब आंबेडकर ने मदर इंडिया के विचार को ख़ारिज कर दिया था।"

"अगर 'भारत में रहना है तो वंदे मातरम् गाना होगा' का नारा अनिवार्य करना है तो यह संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ है। मैं एक मुसलमान हूं और इस्लाम को मानता हूं और ख़ुदा के अलावा मैं किसी को नहीं मानता हूं और इसका अधिकार मुझे संविधान देता है। इससे हमारे मुल्क की मोहब्बत मेरे धर्म के बीच नहीं आती है।"

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