नेपाल में हुए जेन-ज़ी प्रोटेस्ट के ये हैं 5 मुख्य कारण

September 12, 2025
नेपाल में हुए जेन-ज़ी प्रोटेस्ट के ये हैं 5 मुख्य कारण

नेपाल में बीते कई दिनों से युवाओं का प्रोटेस्ट चल रहा है, देश-विदेश के लोग इस प्रोटेस्ट के कारण ढूँढने की कोशिश कर रहे हैं, आप बता दें की किसी भी देश में जब कोई इस तरह की घटना होती है तो उसका कोई एक राजनैतिक कारण नहीं होता, बल्कि कोई कारण चाहे छोटे हो या बड़े मिलकर एक बड़ा रूप लेते है। इसी तरह की स्थिति नेपाल में हुई है। नेपाल में हो रहे इस प्रोटेस्ट को इन पाँच मुख्य बातों से जोड़कर समझ जा सकता है:

1. सोशल मीडिया पर प्रतिबंध

कुछ विश्लेषकों का कहना है कि नेपाल में हो रहे दंगों का कारण वहाँ सोशल मीडिया पर लगा बैन है, जिसमें फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, ट्विटर, यूट्यूब और एक्स सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया था।

सरकार का कहना था कि बार-बार चेतावनी देने के बावजूद इन टेक कंपनियों ने नेपाल के क़ानूनों और नियमों का पालन नहीं किया।

सोशल मीडिया पर इन प्रतिबंधों के कारण उन लाखों नेपाली यूज़र्स को असुविधा हुई, जो इनका प्रयोग ज़रूरी जानकारी हासिल करने और कम्युनिकेशन के लिए करते थे।

2. भ्रष्टाचार के मामले

इस विरोध प्रदर्शन में जेन ज़ी प्रदर्शनकारियों ने 'भ्रष्टाचार ख़त्म करो' और 'सोशल मीडिया नहीं, भ्रष्टाचार पर प्रतिबंध लगाओ' लिखे हुए प्लेकार्ड भी दिखाए।

इसके बाद जैसे-जैसे प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ती गई, उनमें से कुछ नेपाल के मंत्रालयों के मुख्यालय, सिंह दरबार और संसद परिसर की दीवारों पर चढ़ने लगे, जिसके बाद पुलिस कार्रवाई शुरू हो गई।

केपी शर्मा ओली और उनके कई सहयोगियों को गिरिबंधु चाय बागान भूमि गबन मामले में घसीटा गया, हालांकि उन्होंने इससे इनकार किया है और इस मामले को अभी तक आगे नहीं बढ़ाया गया था।

दो पूर्व मंत्रियों तोप बहादुर रायमाझी (सीपीएन-यूएमएल) और बाल कृष्ण खंड के अलावा एक दर्जन से ज़्यादा वरिष्ठ नौकरशाहों को पिछले साल एक और चौंकाने वाले घोटाले (अमेरिका में फ़र्ज़ी भूटानी शरणार्थियों की तस्करी) में दोषी पाए जाने पर एक अदालत ने जेल भेज दिया था।

3. युवा छोड़ रहे नेपाल

एशियाई विकास बैंक के अनुसार, 2025 में अर्थव्यवस्था के चार प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ने का अनुमान है. हालांकि इस सप्ताह हुई राजनीतिक उथल-पुथल और तोड़फोड़ के कारण इस पर असर पड़ने की आशंका है। 

नेपाल से न केवल श्रमिक बल्कि हज़ारों छात्र भी बेहतर आर्थिक और शिक्षा के अवसरों और सुविधाओं की कमी के कारण ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका जा रहे हैं.

इसके कारण भले ही नेपाल की कई एकड़ कृषि भूमि अब बंजर पड़ी है लेकिन इससे देश को कहीं न कहीं फ़ायदा हो रहा है.

नेपाल के केंद्रीय बैंक के अनुसार, विदेश में रहने वाले नेपालियों ने मई से जून 2025 के बीच 176 अरब नेपाली रुपये अपने घर भेजे हैं और अनुमानों के अनुसार यह राशि बढ़ भी सकती है.

4. युवाओं का मोहभंग

नेपाल में बहुत ज़्यादा उद्योग नहीं है और विदेशी निवेश आकर्षित करने का सरकारी प्रयास भी बहुत उत्साहजनक नहीं दिखाई दिया। 

राजनीतिक ​अस्थिरता के कारण देश के प्रमुख सरकारी पदों पर बार-बार बदलाव हो रहे हैं, ये निवेशकों के लिहाज से एक बेहतर स्थिति नहीं है। देश में ज़्यादा सैलरी वाली नौकरियां देने वाले उद्योग कम हैं ऐसे में नेपाली युवा विदेश का रुख़ कर रहे हैं, जहां उन्हें बेहतर नौकरी और सैलरी मिले।

जो युवा 'नेपो किड्स' नेपाल में रह गए हैं, वे पारंपरिक रूप से नए और पुराने राजनीतिक दलों में शामिल होते रहे हैं। ऐसे युवाओं को आकर्षक ठेकों या फिर सरकारी कार्यालयों में राजनीतिक नियुक्तियों के रूप में पदों से नवाजा गया है।

यही बात जेन ज़ी के सदस्यों को अच्छी नहीं लगी, जो अपने मोबाइल या कंप्यूटर स्क्रीन पर कहीं बेहतर और समृद्ध दुनिया की तस्वीरें देखते हुए बड़े हुए हैं।

5. बड़े पैमाने पर घुसपैठ

सोमवार को पुलिस की गोलीबारी में 19 लोगों के मारे जाने के तुरंत बाद ओली सरकार के प्रवक्ता पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने 'जेन ज़ी' के विरोध प्रदर्शन में हुई अराजकता और उसके बाद हुई हिंसा के लिए "निहित स्वार्थी समूहों द्वारा घुसपैठ" को ज़िम्मेदार ठहराया।

अगर जल्दी से एक फैक्ट फाइंडिंग कमीशन का गठन ​कर दिया जाए तो यह पता लगाया जा सकता है कि काठमांडू की प्रमुख इमारतों, आवासों और ऐतिहासिक महलों को भारी नुकसान पहुंचाने वाले इन विरोध प्रदर्शनों में किन लोगों ने घुसपैठ की थी।

नेपाल पिछली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तब सुर्खियों में आया था जब राजशाही समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और दुर्गा प्रसैन (विवादास्पद व्यवसायी) के नेतृत्व वाले समूह ने इस साल मार्च के अंत में काठमांडू में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किए थे।

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