अमृतलाल नागर - Amritlal Nagar

Harsh
February 24, 2025
अमृतलाल नागर - Amritlal Nagar

शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में वर्ष 1981 में साहित्य अकादमी और पद्म भूषण से पुरस्कृत अमृतलाल नागर हिंदी के सुप्रसिद्ध साहित्यकारों की श्रेणी में आते हैं।

अमृतलाल नागर जीवनी - Amritlal Nagar Biography

जन्म17 अगस्त 1916
माता-पिताविद्यावती नागर, राजाराम नागर
उल्लेखनीय कार्य ‘अमृत और विष’
उल्लेखनीय पुरस्कारसाहित्य अकादमी और पद्म भूषण
मृत्यु23 फ़रवरी 1990

वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी होने के साथ ही बहुभाषी भी थे और हिंदी के अतिरिक्त मराठी, गुजराती, बांग्ला एवं अँग्रेज़ी भाषा का ज्ञान रखते थे। अमृतलाल नागर को साहित्यिक संस्कार पारिवारिक वातावरण में प्राप्त हुआ। युवावस्था से ही सक्रिय लेखन की ओर मुड़ गए थे और इस क्रम में उनका पहला कहानी-संग्रह ‘वाटिका’ 1935 में ही प्रकाशित हो गया था।

उन्होंने कुछ वर्ष ऑल इंडिया रेडियो पर ड्रामा प्रोड्यूसर के रूप में भी कार्य किया। उस समय ऑल इंडिया रेडियो के सलाहकार मंडल में हिंदी साहित्य के भगवतीचरण वर्मा, सुमित्रानंदन पंत, उदयशंकर भट्ट और पंडित नरेंद्र शर्मा जैसे महत्त्वपूर्ण साहित्यकार शामिल थे। बाद में फिर रेडियो से अवकाश लेते हुए वह स्वतंत्र साहित्य सृजन में जुट गए।

एक साहित्यकार के रूप में अमृतलाल नागर ने अपने समय-समाज-संस्कृति से सार्थक संवाद किया है। उन्होंने गद्य की विभिन्न विधाओं—उपन्यास, कहानी, नाटक, बाल साहित्य, फ़िल्म पटकथा, लेख, संस्मरण आदि में विपुल योगदान किया है।

उनकी विशेष ख्याति एक उपन्यासकार के रूप में है। हिंदी उपन्यास की परंपरा में उन्हें प्रेमचंद, फणीश्वरनाथ रेणु, नागार्जुन, यशपाल की श्रेणी में रखकर देखा जाता है। उनके उपन्यासों का वितान वृहत है जहाँ उन्होंने प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति से लेकर तुलसी-सूर जैसी विलक्षण काव्यात्माओं और स्वतंत्रता-पूर्व भारत के राजनीतिक यथार्थ से लेकर स्वातंत्र्योत्तर भारत के बदलते सामाजिक-आर्थिक अनुभवों तक के विस्तृत भारतीय परिदृश्य पर लेखन किया है। वह अपनी कृतियों में यथार्थपरक दृष्टिकोण से भारतीय जनजीवन का जीवंत रूप प्रस्तुत करने के साथ मनुष्य और मनुष्यता का इतिहास रचते जाते हैं।

वह भारतीय जन नाट्य संघ, इंडो-सोवियत कल्चरल सोसाइटी, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, भारतेंदु नाट्य अकादमी, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान जैसी कई संस्थाओं के सम्मानित सदस्य रहे। उन्होंने मंच और रेडियों के लिए कई नाटकों का निर्देशन किया। भारत सरकार की ओर पद्म भूषण, ‘अमृत और विष’ के लिए साहित्य अकादेमी और सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार के साथ ही वह अन्य कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए गए। उनकी कृतियों का अँग्रेज़ी, रुसी आदि विदेशी भाषाओं सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है।

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