नीलम संजीव रेड्डी भारत के छठे राष्ट्रपति थे, जिन्होंने 25 जुलाई 1977 से 25 जुलाई 1982 तक इस पद पर कार्य किया। वे भारत के पहले गैर-कांग्रेसी राष्ट्रपति थे और एकमात्र ऐसे व्यक्ति रहे जिन्हें निर्विरोध राष्ट्रपति चुना गया।
नीलम संजीव रेड्डी का जन्म 19 मई 1913 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के इल्लुर गांव में एक कृषक परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मद्रास (अब चेन्नई) के अडयार स्थित थियोसोफिकल हाई स्कूल में हुई, और आगे की पढ़ाई अनंतपुर के गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज में की। 1929 में महात्मा गांधी से मिलने के बाद वे स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय हो गए और खादी पहनना शुरू कर दिया।
रेड्डी ने 1931 में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली और सत्याग्रह आंदोलनों में भाग लिया। 1938 में वे आंध्र प्रदेश प्रांतीय कांग्रेस समिति के सचिव बने और 1940 से 1945 के बीच कई बार जेल गए। 1947 में वे संविधान सभा के सदस्य बने और मद्रास राज्य में निषेध, आवास और वन मंत्री के रूप में कार्य किया।
1956 में आंध्र प्रदेश के गठन के बाद, रेड्डी इसके पहले मुख्यमंत्री बने। 1959 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़कर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष का पद संभाला। 1964 में वे लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में इस्पात और खनन मंत्री बने और बाद में परिवहन, नागरिक उड्डयन, नौवहन और पर्यटन मंत्रालयों का कार्यभार संभाला।
रेड्डी 1967 और 1977 में दो बार लोकसभा अध्यक्ष चुने गए। 1977 में जनता पार्टी के समर्थन से वे भारत के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने मोरारजी देसाई, चरण सिंह और इंदिरा गांधी की सरकारों के साथ काम किया।
नीलम संजीव रेड्डी ने 8 जून 1935 को नागारत्नम्मा से विवाह किया। उनके एक पुत्र और तीन पुत्रियाँ थीं। राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्ति के बाद वे अपने गांव लौट गए और 1 जून 1996 को बेंगलुरु में उनका निधन हो गया।
नीलम संजीव रेड्डी को एक सादगीपूर्ण, ईमानदार और समर्पित राजनेता के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।