ओ०पी०नय्यर - O. P. Nayyar

ओ.पी.नय्यर  का संगीत कितना हिट था इसकी बानगी ये है कि ओ.पी.नय्यर  पहले संगीतकार हैं जो 50 और 60 के दशक में संगीत देने के एक लाख रुपए लेते थे जो बहुत ही बड़ी रकम थी। 

लोकप्रिय फिल्म जगत के प्रसिद्ध गीतकार के काम का दौर 'कनीज' फिल्म से शुरू हुआ। अपने जमाने के प्रसिद्ध निर्देशक गुरु दत्त के साथ काम कर अपनी पहली हिट फिल्म 'आरपार' 1954 में दी। 

जीवन परिचय - O. P. Nayyar Biography

जन्म16 जनवरी 1926
मृत्यु27 जनवरी 2007
पेशासिंगर, रिकार्ड प्रोड्यूसर, म्यूजिक डायरेक्टर 
वाद्ययंत्रपियानो, ढोलक, कीबोर्ड, ड्रम्स 

रेडियो बैन, लता से झगड़ा…

दरअसल ओ.पी.नय्यर ने संगीत की कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की थी, शास्त्रीय भाषा में बात करना न उन्हें आता था न पसंद। 1952 में ऑल इंडिया रेडियो ने हिंदी सिनेमा के गानों को अश्लील और पश्चिमी मानते हुए कई सालों के लिए बैन कर दिया । इस दौर ने श्रीलंका का मशहूर रेडियो सेलोन में चलने शुरू हुए थे, और इनके गाने केवल यही सुने जा सकते थे। लता मंगेशकर के साथ ओ.पी. नय्यर  ने काम ना करने की कसम उस समय किया जब कोई संगीत हिट होगा या नहीं इस बात का पैमाना ही लता मंगेशकर थी। 

एक बार लता और नय्यर एक फिल्म में गाने को लेकर कुछ बात करते हुए लता ने उन्हें कुछ ताने कस दिए जिसके बाद सेनय्यर  साहब ने कसम कहा ली की वे लता के साथ काम नहीं करेंगे, यहाँ तक की उन्होंने लता मँगेशकर अवॉर्ड लेने से भी इनकार कर दिया था। इस कसम का फायदा आशा भोसले और गीता दत्त को हुआ और ये दोनों भी फिल्म और संगीत जगत में प्रसिद्धि प्राप्त कर सकीं। 

ओ.पी.नय्यर  की प्रसिद्धि

ओ.पी. के संगीत का सबसे खास पहलू उनकी रिदम पर पकड़ है। पंजाब के ढोल पर बजने वाले लोक गीतों को उन्होंने बेहद खूबसूरती से इस्तेमाल किया। 'उड़े जब-जब ज़ुल्फें तेरी', 'रेशमी सलवार कुर्ता जाली दा', 'कजरा मोहब्बतवाला'। अंग्रेज़ी की मार्च (हॉर्स बीट) को उन्होंने 50 और 60 के दशक के संगीत की पहचान बना दिया। चलते हुए तांगे की फील देने वाली ये रिदम आपने 'दीवाना हुआ बादल' और 'जिसने तुम्हें बनाया' में बेहद प्रसिद्ध।

निजी ज़िंदगी

ओ.पी की निजी ज़िंदगी खास अच्छी नहीं बीती, गायिकाओं के साथ संबंध की चर्चा के कर्म पारिवारिक समस्यों का सामना करना पड़ा। 1989 में उनके घर छोड़ देने के बाद वे बेहद काम लोगों से मिलते थे, सारेगामा और और अंताक्षरी के प्रोड्यूसर गजेन्द्र सिंह आदि से ही मिलते थे। दुपहर के खाने के साथ बियर और रात में दो स्कॉच के पेग, न काम न ज़्यादा!