भारत की स्वतंत्रता का गीत, वंदे मातरम् का गान उत्तर प्रदेश के स्कूल व कॉलेज में अनिवार्य, योगी

November 10, 2025
CM Yogi

उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भारत के राष्ट्रगीत को लेकर कहा है कि राज्य के सभी स्कूल एवं कॉलेजों में वंदे मातरम् का गान अनिवार्य होगा।

वंदे मातरम का इतिहास, कब और किसने लिखा?

24 जनवरी 1950 को, भारतीय संविधान सभा ने "वंदे मातरम्" को भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया। बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा अपने उपन्यास " आनंदमठ " में रचित यह गीत भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बन गया।

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा एक घोषणा की गई कि "वंदे मातरम्" को राष्ट्रगान "जन गण मन" के समान सम्मान दिया जाना चाहिए। हालाँकि "जन गण मन" को राष्ट्रगान के रूप में चुना गया था, फिर भी "वंदे मातरम्" देशभक्ति और एकता का एक पूजनीय गीत बना हुआ है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि, "आप याद कीजिए, एक ऐसा गीत जिसने भारत की सोई हुई चेतना को जागृत कर दिया। कौन ऐसा क्रांतिकारी होगा जिसने 1876 के बाद आजादी की लड़ाई के दौरान वंदेमातरम का उद्घोष न किया हो। देखते-देखते वंदे मातरम का ये उद्घोष विदेशी दासता से मुक्ति का मंत्र बन गया।"

योगी बोले, "सोचिए जो गीत भारत की आजादी का मंत्र बना हो उसे भी लोगों ने सांप्रदायिक कहकर उसमें संशोधन करने का प्रयास किया। कांग्रेस ने ये कोशिश की। कांग्रेस ने कहा कि पांच या छह छंद क्यों पढ़ना है दो छंद ही काफ़ी है।"

योगी आदित्यनाथ ने कहा, "भारत की एकता को नुक़सान पहुंचाने वाली ताक़तों को पहचानना जरूरी है। हमें उनसे प्रभावी तरीके से निपटना होगा ताकि कोई भारत की एकता को चुनौती देने वाला कोई जिन्ना न पैदा हो।कोई व्यक्ति हो, कोई जाति, मत या मजहब, वो किसी राष्ट्र से बढ़कर नहीं हो सकता। अगर किसी की आस्था राष्ट्रीय एकता में बाधा डाले तो उसे रोकना होगा।"

भारतीय संस्कृत एवं विरासत का प्रतीक- वंदे मातरम्

भारतीय लोगों के लिए "वंदे मातरम्" सिर्फ़ एक गीत नहीं है; यह भावनाओं का राग है, यह देशभक्ति, भक्ति और भारतीयों के अपनी मातृभूमि के साथ गहरे भावनात्मक बंधन की एक सशक्त अभिव्यक्ति है। यह लेख भारत के राष्ट्रीय गीत के इतिहास, अर्थ और प्रभाव, इसकी शुरुआत, मुक्ति आंदोलन में इसकी भागीदारी और आधुनिक भारत में इसकी स्थायी विरासत पर प्रकाश डालता है।

 भारत की एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, विविध भाषाएँ और गहरी जड़ें जमाए परंपराएँ हैं। राष्ट्रगान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गीत जैसे इस विशाल विविधता के प्रतीक, भारतीयों के दिलों में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। राष्ट्रीय गौरव और एकता का ऐसा ही एक प्रतीक भारत का राष्ट्रीय गीत "वंदे मातरम्" है। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा 1876 में रचित "वंदे मातरम्" भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था और आज भी लाखों भारतीयों को प्रेरित करता है।∎

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