साहित्य अकादमी पुरस्कार पर की बोली मृदुला गर्ग?

November 15, 2025
mridula garg in Hindwi program

कल 14 नवम्बर 2025 को भारत की साहित्य अकादमी की ओर से वार्षिक बाल साहित्य त्रिवेणी सभागार, तानसेन मार्ग, नई दिल्ली में पुरस्कार दिया गया। ये पुरस्कार अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक द्वारा प्रदान किए जाएँगे। प्रख्यात गुजराती लेखिका वर्षा दास इस अवसर पर मुख्य अतिथि होंगी और अकादमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा धन्यवाद ज्ञापन करेंगी। साहित्य अकादमी की सचिव पल्लवी प्रशांत होल्कर स्वागत भाषण देंगी।

इस पुरस्कार से नवाज़े गए व्यक्ति व पुस्तकें इस प्रकार हैं:

पुरस्कृत पुस्तकें और पुरस्कार विजेता हैं: असमिया - मैनाहंतार पद्य (कविता), सुरेंद्र मोहन दास; बंगाली - एखोनो गए कांता दये (कहानियाँ), त्रिदीब कुमार चट्टोपाध्याय; बोडो - खांथी ब्स्वन अर्व अखु दानई (कहानियां), बिनय कुमार ब्रह्मा; डोगरी - नन्हीं तोर (कविता), पीएल परिहार 'शौक'; अंग्रेजी - दक्षिण: दक्षिण भारतीय मिथक और दंतकथाएं (कहानियां), नितिन कुशलप्पा एमपी; गुजराती - तिनचक (कविता), कीर्तिदा ब्रह्मभट्ट; हिंदी - एक बटे बारह (नॉन-फिक्शन और संस्मरण), सुशील शुक्ला; कन्नड़ - नोटबुक (लघु कथाएँ), के. शिवलिंगप्पा हंडीहाल; कश्मीरी - शुरे ते त्चुरे ग्युश (लघु कथाएँ), इज़हार मुबाशिर; कोंकणी - बेलाबाईचो शंकर अनी वारिस कान्यो (कहानियाँ), नयना अदारकर; मैथिली - चुक्का (लघुकथाएँ), मुन्नी कामत; मलयालम - पेंगुइनुकालुडे वंकाराविल (उपन्यास), श्रीजीत मूथेदथ; मणिपुरी - अंगांगशिंग - जी शन्नाबुंगशिदा (नाटक), शान्तो एम.; मराठी - अभयमय (कविता), सुरेश गोविंदराव सावंत; नेपाली - शांति वन (उपन्यास), संगमू लेप्चा; उड़िया - केते फुला फूटिची (कविता), राजकिशोर पारही; पंजाबी - जद्दू पत्ता (उपन्यास), पाली खादिम (अमृत पाल सिंह); राजस्थानी - पंखेरुव नी पीड़ा (नाटक), भोगीलाल पाटीदार; संस्कृत - बलविस्वम (कविता), प्रीति आर. पुजारा; संताली - सोना मिरू-अग संदेश (कविता), हरलाल मुर्मू, सिंधी - आसमानी परी (कविता), हीना अगनानी 'हीर'; तमिल - ओट्राई सिरगु ओविया (उपन्यास), विष्णुपुरम सर्वानन; तेलुगु - काबुरला देवता (कहानी), गंगीसेट्टी शिवकुमार; उर्दू - कौमी सितारे (लेख), ग़ज़नफ़र इक़बाल।

इस पुरस्कार मिलने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक विडिओ हिंदवी (रेख़्ता) पर आया है जिसमें मृदुला गर्ग अपनी बात कह रही हैं कि "साहित्य पुरस्कार तो लौटा देते हैं लोग लेकिन पुरस्कृत राशि नहीं"

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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