कर्नाटक की राजनीति में मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षाएं कभी पूरी तरह शांत नहीं होतीं, और इस बार वरिष्ठ कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने इस पर फिर अपनी बात रखी है। अतीत में मुख्यमंत्री पद को लेकर हुए बवाल के बीच, शिवकुमार ने एक बार फिर दोहराया है कि "कुर्सी मिलना बहुत मुश्किल है।" उनका यह बयान कर्नाटक कांग्रेस के भीतर और बाहर, दोनों जगह नई राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दे रहा है।
डीके शिवकुमार का यह बयान उस समय की याद दिलाता है जब पिछले विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस की जीत के बावजूद मुख्यमंत्री पद को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके बीच तीखी खींचतान हुई थी। आखिरकार, शिवकुमार ने उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार किया था। उनके इस नए बयान को उनके पिछले अनुभव और भविष्य की राजनीतिक आकांक्षाओं के संदर्भ में देखा जा रहा है।
उन्होंने यह टिप्पणी संभवतः किसी सार्वजनिक कार्यक्रम या मीडिया बातचीत के दौरान की, जहाँ उन्होंने राजनीतिक सत्ता की जटिलताओं और सर्वोच्च पद तक पहुंचने की चुनौतियों पर प्रकाश डाला। शिवकुमार, जो कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं, पार्टी के भीतर एक कद्दावर नेता माने जाते हैं और उनका समर्थकों के बीच एक मजबूत आधार है।
शिवकुमार का यह फिर बोले वाला अंदाज दर्शाता है कि मुख्यमंत्री पद की उनकी इच्छा अभी भी कायम है, भले ही उन्होंने पिछली बार पार्टी आलाकमान के फैसले को स्वीकार कर लिया था। यह बयान न केवल पार्टी के भीतर भावी नेतृत्व की बहस को गरमा सकता है, बल्कि विपक्ष को भी कांग्रेस की आंतरिक कलह पर टिप्पणी करने का मौका दे सकता है।
कर्नाटक की राजनीति में नेताओं की महत्वाकांक्षाएं और सत्ता संघर्ष कोई नई बात नहीं है। डीके शिवकुमार का यह बयान एक बार फिर इस तथ्य को रेखांकित करता है कि शीर्ष कुर्सी तक पहुंचने का सफर कितना चुनौतीपूर्ण होता है, खासकर तब जब पार्टी में कई दिग्गज नेता मौजूद हों।∎