भारत-अमेरिका ट्रेड डील: उलझन अब भी बरकरार, गतिरोध सुलझाने की कवायद जारी

July 02, 2025
भारत-अमेरिका ट्रेड डील: उलझन अब भी बरकरार, गतिरोध सुलझाने की कवायद जारी

दुनिया की दो सबसे बड़ी लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्थाओं, भारत और अमेरिका के बीच बहुप्रतीक्षित व्यापार समझौते (ट्रेड डील) को लेकर अनिश्चितता अब भी बनी हुई है। दोनों देशों के बीच कई प्रमुख मुद्दों पर सहमति नहीं बन पा रही है, जिससे इस समझौते के जल्द सिरे चढ़ने की उम्मीदें धुंधली पड़ रही हैं। विशेष रूप से टैरिफ और कृषि उत्पादों से जुड़े मुद्दों पर मतभेद गहराए हुए हैं।

कहां फंसा है पेंच?

हालिया जानकारी के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत अंतिम चरण में है, लेकिन कुछ अहम बिंदुओं पर गतिरोध बरकरार है। मंगलवार, 1 जुलाई 2025 को भी वॉशिंगटन डीसी में भारतीय प्रतिनिधिमंडल और अमेरिकी अधिकारियों के बीच गहन वार्ता जारी रही, जिसका मुख्य बिंदु टैरिफ था।

 

  • टैरिफ का मुद्दा: अमेरिका कुछ क्षेत्रों में 10% टैरिफ बनाए रखने का इच्छुक है, जबकि भारत कई कृषि और औद्योगिक उत्पादों पर इसे शून्य या बहुत कम करना चाहता है। अमेरिका ने 2 अप्रैल को भारत से आने वाले कुछ सामानों पर 26% अतिरिक्त कर (रेसिप्रोकल टैरिफ) लगाने की घोषणा की थी, जिसे 90 दिनों के लिए टाल दिया गया था। यह समय सीमा 9 जुलाई को समाप्त हो रही है, जिसके बाद यदि समझौता नहीं होता है तो ये अतिरिक्त टैरिफ फिर से लागू हो सकते हैं। भारत इस 26% अतिरिक्त कर से पूरी तरह छूट चाहता है।

  • कृषि और डेयरी उत्पाद: भारत का सबसे बड़ा मतभेद अमेरिका की उन मांगों को लेकर है, जिनमें जेनेटिकली मोडिफाइड (GM) फसलों, डेयरी प्रोडक्ट्स, मेडिकल डिवाइस पर नरम नियम, और डेटा लोकलाइजेशन में अधिक छूट शामिल है। भारत का मानना है कि इन क्षेत्रों में अधिक रियायतें देने से देश की खाद्य सुरक्षा और लाखों किसानों के हितों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। भारतीय किसान संघ (BKS) और स्वदेशी जागरण मंच (SJM) जैसे संगठनों ने भी इन मांगों पर कड़ी आपत्ति जताई है।

  • बाजार पहुंच की मांग: अमेरिका भारत से सोयाबीन, मक्का, कार और शराब जैसे उत्पादों पर आयात शुल्क घटाने और गैर-शुल्क बाधाओं (Non-tariff barriers) को कम करने की प्रतिबद्धता चाहता है।

इतिहास और लक्ष्य:

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंध लंबे समय से मजबूत रहे हैं, और अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। वर्ष 2024 में भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) लगभग 45 अरब डॉलर था। दोनों देशों का लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 190 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 2030 तक 500 बिलियन डॉलर करना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक व्यापार समझौता महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

वर्तमान स्थिति और आगे की राह:

वाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलाइन लेविट ने हाल ही में कहा है कि समझौता जल्द ही फाइनल हो सकता है और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद इसका ऐलान करेंगे। उन्होंने भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक बहुत अहम रणनीतिक साझेदार बताया है। हालांकि, भारत के मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में एक दल वॉशिंगटन में अपना दौरा बढ़ा चुका है ताकि विवादित मुद्दों को सुलझाया जा सके।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कृषि जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सहमति नहीं बनी, तो यह समझौता टल भी सकता है या एक सीमित 'मिनी-डील' के साथ आगे बढ़ा जा सकता है। सभी की नजरें अब वॉशिंगटन में चल रही बैठकों पर टिकी हैं, क्योंकि 9 जुलाई की समय सीमा नजदीक आ रही है और दांव पर बहुत कुछ लगा हुआ है। इस समझौते के सफल होने से दोनों अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा, लेकिन गतिरोध जारी रहने पर टैरिफ बढ़ने की संभावना बनी हुई है।∎

EN