पितृ पक्ष 2025: तिथि, महत्व, श्राद्ध पूजा का समय और विधि

September 04, 2025
pitru paksha 2025

पितृ पक्ष क्या है?

सनातन धर्म में पूर्वजों (पितरों) को स्मरण और तर्पण करने की परंपरा को पितृ पक्ष कहा जाता है। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहते हैं। मान्यता है कि इन 16 दिनों तक पितृ लोक के द्वार खुल जाते हैं और हमारे पितृ अपनी संतानों को आशीर्वाद देने पृथ्वी लोक पर आते हैं। इस दौरान श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है।

पितृ पक्ष 2025 तिथि (Pitru Paksha 2025 Date)

पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद पूर्णिमा के अगले दिन से शुरू होता है और सर्व पितृ अमावस्या तक चलता है।

तिथि का नाम (श्राद्ध तिथि) दिनांक दिन
पूर्णिमा श्राद्ध (पहला) 7 सितंबर 2025 रविवार
प्रतिपदा श्राद्ध 8 सितंबर सोमवार
द्वितीया श्राद्ध 9 सितंबर मंगलवार
तृतीया श्राद्ध 10 सितंबर बुधवार
चतुर्थी श्राद्ध 10 सितंबर बुधवार
पंचमी (महा भरणी) श्राद्ध 11 सितंबर बृहस्पतिवार
षष्ठी श्राद्ध 12 सितंबर शुक्रवार
सप्तमी श्राद्ध 13 सितंबर शनिवार
अष्टमी श्राद्ध 14 सितंबर रविवार
नवमी श्राद्ध 15 सितंबर सोमवार
दशमी श्राद्ध 16 सितंबर मंगलवार
एकादशी श्राद्ध 17 सितंबर बुधवार
द्वादशी श्राद्ध 18 सितंबर बृहस्पतिवार
त्रयोदशी श्राद्ध 19 सितंबर शुक्रवार
चतुर्दशी श्राद्ध 20 सितंबर शनिवार
सर्वपितृ अमावस्या (अंतिम श्राद्ध) 21 सितंबर रविवार

पितृ पक्ष में श्राद्ध का सही समय

  • श्राद्ध कर्म कुतुप काल और रौद्र काल में करना श्रेष्ठ माना गया है।
  • सामान्यतः दोपहर में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते है।
  • प्रातःकाल स्नान, संकल्प और पूजा के बाद श्राद्ध कार्य किया जाता है।

पितृ पक्ष का महत्व

पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) हिंदू धर्म में पूर्वजों को स्मरण और तर्पण करने का विशेष काल है। माना जाता है कि इस दौरान पितृ लोक के द्वार खुलते हैं और पूर्वज अपने वंशजों के आह्वान से संतुष्ट होकर आशीर्वाद देते हैं। इस अवधि में श्राद्ध, तर्पण, दान और पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है तथा परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

पितृ पक्ष में श्राद्ध की विधि

  • स्नान और संकल्प: प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • संकल्प: पवित्र स्थान पर कुशा आसन पर बैठकर पितरों का स्मरण करें और संकल्प लें।
  • तर्पण और पिंडदान: तिल, कुश, जल, पुष्प और अक्षत के साथ तर्पण करें। पके हुए भोजन के पिंड बनाकर उन्हें अर्पित करें।
  • ब्राह्मण भोजन: श्राद्ध कर्म के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना अनिवार्य माना गया है।
  • दान-पुण्य: गाय, अन्न, वस्त्र और धान्य का दान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।

पितृ पक्ष में क्या करें और क्या न करें?

करना चाहिए

  • श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान अवश्य करें।
  • जरूरतमंद, ब्राह्मण और गरीबों को भोजन कराएं।
  • गाय, कौवे और चींटियों को भोजन खिलाएं।
  • घर में पितरों के नाम से दीपक जलाएं और उनकी तस्वीर/प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करें।

नहीं करना चाहिए

  • इस दौरान नए कपड़े, गहने खरीदना अशुभ माना जाता है।
  • मकान, वाहन या संपत्ति खरीदने की मनाही होती है।
  • विवाह, मुंडन या शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
  • झूठ बोलना, किसी का अपमान करना और मांसाहार का सेवन वर्जित है।

पितृ पक्ष से जुड़ी मान्यताएं

  • कहा जाता है कि पितृ पक्ष में पितरों को जल और अन्न का अर्पण करने से उनकी आत्मा तृप्त होती है।
  • यदि किसी कारणवश मृत्यु तिथि ज्ञात न हो, तो सर्वपितृ अमावस्या (21 सितंबर 2025) को श्राद्ध किया जा सकता है।
  • पितृ पक्ष में किए गए दान का फल अनंत गुना मिलता है और संतान के जीवन में बाधाएं दूर होती हैं।

पितृ पक्ष 2025 का आरंभ 7 सितंबर से हो रहा है और यह 21 सितंबर तक चलेगा। यह समय अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने और पितृ ऋण से मुक्ति पाने का है। जो लोग श्रद्धा और नियमपूर्वक श्राद्ध करते हैं, उनके घर परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

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