इटली में बढ़ रहे फेमिसाइड केस, इस वर्ष 70 से ज़्यादा मामले

November 26, 2025
Italy

इटली में महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ती ही जा रही है। तीन साल पहले इटली ने पहली महिला प्रधानमंत्री ज्योर्जिया मेलोनी को चुना था। लोगों को उम्मीद थी कि वो महिलाओं की सुरक्षा और बराबरी को प्राथमिकता देंगी। लेकिन आलोचकों का कहना है कि हालात और बिगड़े हैं। नई प्रधानमंत्री के कार्यकाल में इस महिला हिंसा के बढ़ते मामले को मद्देनज़र रखते हुए, इटली की संसद ने जेंडर के आधार पर किसी महिला की हत्या (फ़ेमिसाइड) को जघन्य अपराध बनाने से जुड़ा एक बिल पास किया है।

Non Una Di Meno समूह के मुताबिक 2025 में अब तक 70 से ज़्यादा फेमिसाइड हो चुके हैं। पिछले एक साल में 116 मामले दर्ज हुए थे। ये वो हत्याएँ हैं। जो किसी महिला के महिला होने की वजह से होती हैं। ज्यादातर पार्टनर या एक्स पार्टनर द्वारा।

फेमिसाइड क्या होता है?

सिलसिलेवार हत्याओं की प्रवृत्ति सीरियल फेमिसाइड को "महिलाओं की यौन रूप से क्रूर हत्या" के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसे "यौन आतंकवाद" भी कहा जाता है।

प्रधानमंत्री ज्योर्जिया मेलोनी ने घरेलू हिंसा को सज़ा बढ़ाने वाली श्रेणी में डाला है जिससे अपराधियों को लंबी जेल मिल सकती है, कुछ मामलों में उम्रकैद भी। लेकिन विशेषज्ञों और नागरिक समूहों का कहना है कि सजा बढ़ाने से पहले रोकथाम जरूरी है। सबसे बड़ा विवाद है सेक्स एजुकेशन का बैन। इटली में स्कूलों में सेक्स एजुकेशन आज भी अनिवार्य नहीं है, जबकि संयुक्त राष्ट्र कहता है कि शुरुआती उम्र में शिक्षा देने से घरेलू हिंसा, लैंगिक भेदभाव, रिश्तों में असुरक्षा जैसी चीजें कम होती हैं। मेलोनी सरकार कहती है कि इससे जेंडर थ्योरी आएगी, लेकिन विपक्ष कहता है कि इटली समाज को 15वीं सदी में धकेला जा रहा है।

इटली में महिलाओं की आर्थिक स्थिति चिंताजनक है। महिलाओं की लेबर में भागीदारी सिर्फ 41.5 फीसदी है। कई सेक्टर्स में महिलाओं को पुरुषों से 40 फीसदी कम वेतन मिलता है। केवल 7% कंपनियों के पास महिला CEO हैं। अस्थायी कॉन्ट्रैक्ट और कम वेतन ने युवा महिलाओं का जीवन अस्थिर बना दिया है। कई महिलाओं को उम्मीद थी कि वेतन असमानता और महिला सुरक्षा पर सुधार होगा, लेकिन उनकी निराशा बढ़ती जा रही है।

फेमिसाइड तो सामने दिखने वाली हिंसा है। लेकिन इटली में महिलाएँ रोजमर्रा में भी संघर्ष कर रही हैं। इटली की जन्मदर लगातार गिर रही है। 2025 में 1.13, जो बेहद कम है। सरकार कहती है कि महिलाएँ करियर की वजह से माँ बनने में देर कर रही हैं। लेकिन महिलाओं का कहना है कि जब नौकरी स्थिर नहीं है, न वेतन सही है तो बच्चे की जिम्मेदारी वो कैसे निभा पाएंगी।∎

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