संजय गांधी भारतीय राजनीति के एक ऐसे चेहरे थे जिनका उदय और पतन दोनों ही बहुत तीव्र गति से हुआ। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता और भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे पुत्र थे। संजय गांधी का जीवन विवादों, निर्णयों और प्रभावी नेतृत्व से भरा हुआ था। वे युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय थे और उन्हें इंदिरा गांधी के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाने लगा था।
जन्म | 14 दिसम्बर 1946 नई दिल्ली |
मृत्यु | 23 जून 1980 नई दिल्ली |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
जीवन संगी | मेनका गांधी |
संबंध | इंदिरा गांधी (माता) फिरोज़ गांधी (पिता) |
बच्चे | वरुण गांधी |
निवास | उत्तर प्रदेश |
संजय गांधी की शिक्षा-दीक्षा भारत और विदेश में हुई। उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ कार निर्माण और ऑटोमोबाइल डिज़ाइन में भी रुचि दिखाई। उनका सपना था भारत में सस्ती कार बनाना, जिसके लिए उन्होंने "मारुति लिमिटेड" की स्थापना की।
संजय गांधी का राजनीतिक जीवन आपातकाल (1975–77) के दौरान शुरू हुआ। इस समय उन्होंने अत्यधिक प्रभावशाली भूमिका निभाई और कई बड़े निर्णयों में सीधे हस्तक्षेप किया।
संजय गांधी आत्मविश्वासी, निर्णायक और तेजतर्रार नेता थे। उनमें नेतृत्व की गहरी क्षमता थी और वे जल्द निर्णय लेने में विश्वास रखते थे। वे युवाओं को राष्ट्र निर्माण में शामिल करना चाहते थे और ‘स्वावलंबी भारत’ की सोच रखते थे।
23 जून 1980 को एक विमान दुर्घटना में मात्र 33 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई। वे एक प्रशिक्षित पायलट थे और दुर्घटना के समय दिल्ली में सफदरजंग हवाई अड्डे से विमान उड़ा रहे थे।
गांधी एक जटिल व्यक्तित्व के धनी थे — जहां वे युवा नेतृत्व और सशक्त भारत की सोच रखते थे, वहीं उनके कुछ फैसलों ने उन्हें विवादास्पद बना दिया। अल्पायु में उनका निधन भारतीय राजनीति के लिए एक झटका था। यदि वे जीवित रहते तो शायद भारत की राजनीति का एक अलग ही परिदृश्य होता।