IMEI Number क्या है? कैसे ट्रैकिंग होती है? CDR क्या है? Fully Explained

December 09, 2025
IMEI Number क्या है? कैसे ट्रैकिंग होती है? CDR क्या है? Fully Explained

भारत में मोबाइल ट्रैकिंग का आधार IMEI नंबर है, जो हर फोन का स्थायी डिजिटल पहचान कोड होता है। CEIR (Central Equipment Identity Register) जैसी राष्ट्रीय प्रणाली के कारण, जांच एजेंसियां SIM बदलने पर भी चोरी या संदिग्ध मोबाइल डिवाइस को नेटवर्क स्तर पर ट्रैक कर सकती हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी अनुमति और तकनीकी प्रोटोकॉल के भीतर की जाती है।

IMEI क्या है? (What is IMEI Number?)

What is IMEI Number?

IMEI यानी International Mobile Equipment Identity सबसे सरल भाषा में कहा जाए तो, IMEI नंबर हर मोबाईल डिवाइस कंपनी अपनी फैक्ट्री में बने फोन को देती है, इसकी खासियत यह कि यह 15 अंकों का कोड किसी भी अन्य फोन के IMEI कोड से मैच नहीं करता। इस कोड का संबंध मोबाईल के हार्डवेयर से होता है। यह आपकी SIM कार्ड की पहचान (IMSI) से पूरी तरह अलग है।

IMEI के भाग: TAC कोड की भूमिका

TAC यानी Type Allocation Code IMEI कोड शुरुआती 8 अंकों को TAC कहा जाता है। इससे डिवाइस के मॉडल और हार्डवेयर निर्माता की पहचान की जाती है। इससे ट्रैकर को पता चलता है कि फोन किस तरह का है और कॉनसी कंपनी का है।

जब भी कोई डिवाइस ऑन होता है या नेटवर्क से जुड़ता है, वह अनिवार्य रूप से अपना IMEI निकटतम सेल टॉवर को भेजता है।

*IMEI की वैश्विक संरचना और पंजीकरण को GSMA (GSM Association) द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

CDR, SIM स्वैप और IMEI: नेटवर्क की आँखें

CDR यानी Call Details Record लेकिन आप इसके नाम से गचा न खाएं, की यह केवल कॉल डिटेल्स ही रिकार्ड करता है! इसमें आपके कॉल रिकार्ड के साथ-साथ IMEI भी दर्ज करता है।

SIM स्वैप: आप सोचेंगे कि SIM  बदल कर आपके कॉल नए सिरे से रिकार्ड होंगे, यानी पिछले रिकार्ड से उसका कोई संबंध नहीं होगा, लेकिन ऐसा नहीं है, इसे सरल भाषा में समझते हैं, चोरी हुए फ़ोन में सिम बदलने से कॉल रिकॉर्ड नए नहीं होते। चोर सिम निकालकर फ़ोन बंद कर देता है, लेकिन रिपेयरिंग के दौरान जब नई सिम डाली जाती है, तो IMEI नंबर के कारण फ़ोन की लोकेशन CDR द्वारा पता चल जाती है। IMEI नंबर कभी नहीं बदलता, इसलिए सिम टॉवर से संपर्क करते ही फ़ोन को ट्रैक किया जा सकता है।

Emergency Call Tracking: यहां तक कि अगर फ़ोन में कोई SIM न हो, तब भी इमरजेंसी कॉल (जैसे 112) करते समय, IMEI और लोकेशन डेटा नेटवर्क को प्रसारित (Broadcast) हो सकता है।

*यह डेटा लॉगिंग प्रक्रिया भारत में TRAI (Telecom Regulatory Authority of India) के सख्त नियमों के तहत होती है, जो डेटा की गोपनीयता और उपयोग को नियंत्रित करते हैं।

CEIR प्रणाली: भारत में ट्रैकिंग का मास्टर टूल

CEIR Workflow Infographic

भारत में सभी चोरी/खोए मोबाईल को पूर्ण रूप से निष्क्रिय करने के सबसे प्रभावी टूल्स CEIR यानी Central Equipment Identity Register है। CEIR को स्थापित करने का उद्देश्य पूर्ण रूप से यह है कि भारत में क्लोन किए गए (Cloned) और चोरी/खोए हुए फोन की सक्रियता को पूर्ण रूप से खत्म करे और राष्ट्र सुरक्षा को मजबूत करे।

CEIR का जनादेश

यह दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा बनाया गया एक केंद्रीकृत डेटाबेस है जिसमें सभी वैध और अवैध IMEI दर्ज होते हैं।

चोरी होने पर कार्रवाई

यह CEIR का प्राथमिक कार्य है। यूज़र द्वारा 'संचार साथी' पोर्टल पर FIR और IMEI विवरण देने के बाद, CEIR तुरंत फ़ोन को नेटवर्क से ब्लॉक कर देता है। यह सुनिश्चित करता है कि चोरी हुआ डिवाइस देश के किसी भी नेटवर्क पर अवैध रूप से सक्रिय न हो पाए। रिजल्ट: एक बार ब्लैकलिस्ट होने पर, वह फ़ोन किसी भी नेटवर्क पर काम करना बंद कर देगा। भले ही उसमें कितनी भी SIM बदल ली जाएँ।

जाँच एजेंसियों को सहायता

CEIR डेटाबेस कानून प्रवर्तन एजेंसियों (LEA) को IMEI, डिवाइस मॉडल और SIM उपयोग के पैटर्न को ट्रैक करने में मदद करता है। यह अपराधियों को पकड़ने और चोरी हुए सामान को बरामद करने की प्रक्रिया को तेज करता है।

IMEI ट्रैकिंग कौन कर सकता है?

mobile tracking में IMEI नंबर का उपयोग – हिंदी infographic (2025)

IMEI ट्रैकिंग किसी की भी फोन की लोकेशन ट्रैक करने के लिए सबसे सटीक और महत्वपूर्ण टूल है, इसी लिए इसका इस्तेमाल कठोर कानूनी ढांचे के भीतर ही किया जा सकता है।

कानूनी अनुमति

किसी भी संदिग्ध व्यक्ति/संस्थान की ट्रैकिंग के लिए जांच अधिकारी/एजेंसी (पुलिस या CBI) के लिए यह अनिवार्य है कि द्वारा औपचारिक रूप से न्यायालय का आदेश या एक लिखित प्राधिकरण (Written Authorization) प्राप्त करें। यह नागरिकों के निजता के अधिकार (Right to Privacy) का सम्मान सुनिश्चित करता है।

CBI का अधिकार

CBI को ट्रैकिंग और डेटा की माँग करने की शक्ति दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (DSPE) अधिनियम, 1946 की धाराओं (विशेषकर धारा 5 और 6) से मिलती है, जो उन्हें केंद्र शासित प्रदेशों और राज्य सरकार की सहमति से अन्य क्षेत्रों में जाँच का विस्तार करने की अनुमति देती है।

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अवैधता

IMEI क्लोनिंग/स्पूफिंग (बदलने की कोशिश) एक गंभीर अपराध है और इसे भारतीय कानूनों के तहत दंडनीय माना जाता है।

अब बात करते हैं कुछ व्यावहारिक कदमों की जिससे आप IMEI ko सुरक्षित कर सकते हैं:

IMEI पता करें:अपने फ़ोन पर *#06# डायल करके अपना 15 अंकों का IMEI पता करें।

सुरक्षित रखें:अपने फ़ोन के बॉक्स या बिल को संभाल कर रखें, क्योंकि फ़ोन खोने पर IMEI की तत्काल आवश्यकता होगी।

ब्लॉक करें: चोरी होने पर, तत्काल पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराएं और संचार साथी पोर्टल पर जाकर IMEI को ब्लॉक करें।

Refrence

IMEI नंबर, मोबाइल फोन की सबसे विश्वसनीय और स्थायी पहचान है। भारत की CEIR प्रणाली इसे नेटवर्क स्तर पर रिकॉर्ड करती है, जिसकी वजह से SIM बदलने, फोन फ्लैश करने या नेटवर्क बदलने के बावजूद डिवाइस की पहचान बनी रहती है। जाँच एजेंसियाँ CDR, टावर ट्राईऐंगुलेशन, नेटवर्क व्यवहार और IMEI इतिहास को मिलाकर किसी भी संदिग्ध या चोरी हुए डिवाइस की लोकेशन को सटीक रूप से ट्रैक कर सकती हैं, लेकिन यह प्रक्रिया केवल अदालती अनुमति या वैध लिखित प्राधिकरण पर ही लागू होती है।
इस तरह IMEI ट्रैकिंग भारत में साइबर सुरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा और अपराध-जांच के लिए एक अनिवार्य तकनीक है। यदि आप जानना चाहते हैं कि पुलिस और CBI लोकेशन-सिग्नल विश्लेषण और टावर डेटा का उपयोग करके किसी मोबाइल की live location कैसे पकड़ते हैं, तो नीचे दिए गए विस्तृत एक्सप्लेनर भी ज़रूर पढ़ें।

यह केवल IMEI की बात थी। क्या आप जानते हैं कि CBI और पुलिस टॉवर ट्राईऐंगुलेशन और Wi-Fi फिंगरप्रिंटिंग का उपयोग करके सटीक लोकेशन कैसे ट्रैक करते हैं? [मोबाइल लोकेशन ट्रैकिंग: पूरा सिस्टम Explained] लेख में गहराई से जानें। इसके अलावा [फोन की लोकेशन को कैसे बंद करें? इसके लिए यहाँ क्लिक करें]

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