आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा – अब गूगल नहीं, Zoho होगा इस्तेमाल

September 23, 2025
अश्वनी वैष्णव using zoho instead of google

केंद्रीय सूचना तकनीक (Information Technology) मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक बड़ा फैसला किया है। वे अब अपने रोजमर्रा के सभी अनलाइन कार्य व्यापार के लिए विदेशी प्लेटफॉर्म का नहीं बल्कि भारत के Zoho प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करेंगे। वह अब इसी पर अपना डाक्यूमेंट्स, स्प्रेडशीट और प्रेजेंटेशन जैसे काम के साथ सहट कई अन्य कार्य भी इसी प्लेटफॉर्म पर ही करेंगे। वैष्णव का यह कदम 'आत्मनिर्भर भारत' को बढ़ावा देने के लिए है। उनके इस कदम से अब स्वदेशी कंपनियों को ही बढ़ावा दिया जाएगा।

एक्स पर दी जानकारी

अश्विनी वैष्णव ने X पर यह जानकारी दी है। उन्होंने लिखा, "मैं Zoho पर शिफ्ट कर रहा हूं। यह डाक्यूमेंट्स, स्प्रेडशीट और प्रेजेंटेशन के लिए हमारा अपना स्वदेशी प्लेटफार्म है। मैं सभी से PM श्री @narendramodi जी के स्वदेशी अपनाने के आह्वान में शामिल होने का आग्रह करता हूं।" सरकार देसी तकनीक को बढ़ावा देना चाहती है। इसलिए विदेशी प्लेटफार्म पर निर्भरता कम करना चाहती है। यह उसी दिशा में उठाया गया कदम है।

श्रीधर वेम्बू ने यह दी प्रतिक्रिया

Zoho के फाउंडर और CEO श्रीधर वेम्बु ने आईटी मिनिस्टर के ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए फैसले पर ख़ुशी जताते हुए उन्होंने कहा, "धन्यवाद सर, यह हमारे इंजीनियरों के लिए बहुत बड़ा प्रोत्साहन है। उन्होंने दो दशकों से ज़्यादा समय से हमारे प्रोडक्ट बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है। हम आपको और हमारे देश को गर्व कराएंगे। जय हिन्द।"

स्वदेशी को दें बढ़ावा

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्य की ओर ये एक ठोस कदम है, पीएम मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में व्यापारियों से बात की थी। उन्होंने फिर से 'स्वदेशी खरीदें और स्वदेशी बेचें' का नारा दिया था।

H1-B के बाद बड़ा कदम

हाल ही में अमेरिका की और से नई वीजा पॉलिसी के बाद कई लोग वित्त रूप से गहरे संकट में आए हैं, ऐसे में आईटी मंत्री की और से यह एक अहम कदम है। उनका मानना है कि हमें भारतीय सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना चाहिए। कुछ लोगों का कहना हैं कि यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के वीजा झटके का जवाब है। वह भारतीयों को स्वदेशी अपनाने को प्रेरित कर रहे हैं। मतलब कि उनके निशाने पर गूगल जैसी अमेरिकी कंपनियां हैं। उल्लेखनीय है कि चीन में गूगल आदि कंपनियों की सेवा नहीं है। वहां चीनी कंपनियों के ही प्लेटफॉर्म पर काम होता है।∎

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