रिकी पोंटिंग (Ricky Ponting) का नाम क्रिकेट की दुनिया में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के इस दिग्गज बल्लेबाज और कप्तान ने अपनी बल्लेबाजी कला और नेतृत्व क्षमता से क्रिकेट इतिहास में एक अविश्वसनीय छाप छोड़ी है।

19 दिसंबर 1974 को तस्मानिया के लॉन्सेस्टन में जन्मे रिकी थॉमस पोंटिंग ने बचपन से ही क्रिकेट के प्रति गहरा लगाव दिखाया। कम उम्र में ही उनकी बल्लेबाजी में ऐसी परिपक्वता देखने को मिली जो उन्हें भविष्य का सितारा बनाती थी।
पोंटिंग ने 1995 में श्रीलंका के खिलाफ अपना पहला वनडे मैच खेला और उसी साल टेस्ट क्रिकेट में भी पदार्पण किया। उनका शुरुआती करियर संघर्षों से भरा था, लेकिन उन्होंने मेहनत और लगन से खुद को दुनिया के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाजों में शुमार किया।
| जन्म | 19 दिसंबर 1974 |
| स्थान | तस्मानिया |
| बल्लेबाज़ी का तरीक़ा | Right-handed batsman (RHB) |
| जीवनसाथी | रिआना |
| बच्चे | 3 |
| पेशा | बल्लेबाज़ी |
| अवॉर्ड | आईसीसी क्रिकेट विश्व कप |

रिकी पोंटिंग को 2002 में वनडे टीम का कप्तान बनाया गया और 2004 में उन्होंने स्टीव वॉ से टेस्ट कप्तानी की जिम्मेदारी संभाली। पोंटिंग की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया ने 2003 और 2007 के वर्ल्ड कप खिताब जीते। उनकी टीम को 'इंविंसिबल' (अजय) कहा जाने लगा क्योंकि उनकी कप्तानी में टीम ने लगातार 16 टेस्ट मैच जीते।

पोंटिंग के नाम 168 टेस्ट मैचों में 13,378 रन और 375 वनडे मैचों में 13,704 रन दर्ज हैं। उनका औसत और आक्रामकता उन्हें अपने दौर के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में शामिल करता है। वह कवर ड्राइव और पुल शॉट के लिए खास तौर पर जाने जाते थे।

पोंटिंग ने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे। एक समय उनके व्यक्तिगत जीवन में चुनौतियां आईं, लेकिन उन्होंने उन पर जीत हासिल की और अपने खेल पर ध्यान केंद्रित रखा। उनकी कहानी सिर्फ क्रिकेट की नहीं, बल्कि दृढ़ता और संकल्प की मिसाल है।

2012 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी रिकी पोंटिंग खेल से जुड़े रहे। आज वह एक कोच, कमेंटेटर और मेंटर के रूप में नई पीढ़ी को प्रेरित कर रहे हैं।
रिकी पोंटिंग का जीवन हमें सिखाता है कि कड़ी मेहनत, आत्मविश्वास और अनुशासन से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। वह केवल एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक प्रेरणा हैं, जो क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे।